राममूर्ति मेडिकल कॉलेज की गलत सर्जरी से टूटा भरोसा, 7 महीने से न्याय के लिए बरेली सीएमओ ऑफिस भटक रहा नजीब आलम, भरोसा क्या — सिर्फ जांच जारी है!!
शानू कुमार
धरती पर जिन्हें कभी भगवान कहा जाता था, वही डॉक्टर आज पैसों की लालच, निजी रुतबे और नाम कमाने की होड़ में अपने पवित्र पेशे को मैला करते दिखाई दे रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि अस्पताल में इलाज कराने पहुंचने वाला मरीज अब आत्मविश्वास नहीं, बल्कि डर लेकर जाता है—डर इस बात का कि कहीं किसी डॉक्टर की लापरवाही उसकी जिंदगी पर भारी न पड़ जाए। ऐसी ही एक दिल दहला देने वाली कहानी रामपुर के नजीब आलम की सामने आई है।
दरअसल रामपुर के रहने वाले नजीब आलम ने बरेली श्री राम मूर्ति मेडिकल कॉलेज में अपना इलाज करवाने के लिए आए थे जिसके बाद डॉक्टर ने उनकी सर्जरी की, जिसके बाद नजीब आलम का आरोप है कि उंगली उनकी बेकार कर दी गई और अपाहिज कर दिया गया जिसके बाद वह कई बार वहीं डॉक्टर के पास पहुंचे तो उनको बताया गया कि थोड़े दिनों में सही हो जाए ऐसे ही काफी समय बीत गया लेकिन उनको वहां से बार बार लौटाया गया।
जिसके बाद पीड़ित नजीब आलम ने कार्रवाई के लिए सीएमओ ऑफिस का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां भी कोई सुनवाई नहीं होने की बात सामने आई। राममूर्ति मेडिकल कॉलेज में की गई कथित रूप से गलत सर्जरी की जांच बीते सात महीनों से चल रही है, महीनों से न सिर्फ शारीरिक दर्द थोप दिया है, बल्कि मानसिक और आर्थिक रूप से भी पूरी तरह तोड़ कर रख दिया है। नजीब आलम महीनों से सीएमओ ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें मिलता है सिर्फ एक ही जवाब—“जांच जारी है।” ऐसी लापरवाही न सिर्फ डॉक्टरों की जिम्मेदारी पर सवाल उठाती है, बल्कि योगी सरकार के उस सिस्टम पर भी उंगली खड़ी करती है, जो दावा तो बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का करता है, लेकिन पीड़ित को न्याय दिलाने की प्रक्रिया कछुए की चाल से भी धीमी पड़ जाती है। जांच अधिकारी डिप्टी सीएमओ लईक अहमद ने बताया कि रिपोर्ट जल्द आएगी और नियमानुसार कार्रवाई होगी, लेकिन सवाल ये है कि आखिर कब? क्या सात महीने तक दर्द झेल रहे एक मरीज की पीड़ा सिर्फ फाइलों में कैद रह जाएगी या दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी? यह मामला एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उस भरोसे का है जो मरीज डॉक्टरों और सिस्टम पर करते हैं। जब वही भरोसा टूटता है, तो सिर्फ एक आदमी नहीं, पूरा समाज चोट खाता है।