बरेली की स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर! डिप्टी CMO डॉ. अमित कुमार की खामोशी से बेलगाम अवैध क्लीनिक—सील हो चुका शिवा नर्सिंग होम भी अब संरक्षण में बेखौफ संचालित, टेबल के नीचे के खेल से कार्रवाई ठप

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बरेली की स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर! डिप्टी CMO डॉ. अमित कुमार की खामोशी से बेलगाम अवैध क्लीनिक—सील हो चुका शिवा नर्सिंग होम भी अब संरक्षण में बेखौफ संचालित, टेबल के नीचे के खेल से कार्रवाई ठप

शानू कुमार

बरेली में स्वास्थ्य व्यवस्था आज सचमुच वेंटिलेटर पर नजर आ रही है, क्योंकि जिम्मेदार अधिकारियों ने मानो जनता की जिंदगी की कीमत को बिल्कुल ही नजरअंदाज कर दिया है। शहर में दर्जनों नहीं, बल्कि सैकड़ों क्लीनिक बिना किसी रजिस्ट्रेशन, बिना किसी लाइसेंस और बिना किसी निरीक्षण के खुलेआम इलाज कर रहे हैं। लेकिन हैरानी इस बात की है कि डिप्टी CMO डॉ. अमित कुमार की कलम इन पर कार्रवाई करते हुए सूख चुकी प्रतीत होती है। लगातार शिकायतें, समाचार, वीडियो व सुबूत सामने आने के बावजूद न तो निरीक्षण, न नोटिस और न ही कोई कार्रवाई दिखाई देती है। यह खामोशी अपने आप में बताती है कि मेडिकल माफिया और अधिकारियों के बीच साठगांठ कितनी गहरी है।

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हालात सबसे ज्यादा खराब आंवला तहसील में हैं, जहां शिवा सेवा नर्सिंग होम बिना पंजीकरण के लंबे समय से संचालित हो रहा है। यह वही नर्सिंग होम है जहाँ बीते महीनों में एक महिला की संदिग्ध मौत हुई थी, जिसके बाद डिप्टी CMO डॉ. लइक अहमद ने अस्पताल को सील करवाया था। लेकिन अब हालात बिल्कुल उलट हैं—नया जिम्मेदार अधिकारी, डिप्टी CMO डॉ. अमित कुमार, न तो अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे, न कार्रवाई की, और न ही सील की स्थिति को दोबारा बहाल किया। परिणाम यह हुआ कि महीनों से विवादों में घिरा यह क्लीनिक अब खुलकर संरक्षण में संचालित हो रहा है, जैसे उस पर किसी का हाथ है।

 

 

 

बरेली और आंवला क्षेत्र में अवैध क्लीनिकों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह न किसी नियम की परवाह कर रहे हैं और न ही किसी विभागीय कार्रवाई की। सवाल यह है कि आखिर कौन-सी ताकतें इन क्लीनिकों को सुरक्षा दे रही हैं? क्या वास्तव में हर महीने “टेबल के नीचे” चलने वाला लेन-देन इस कार्रवाई को रोक देता है? क्या योगीराज में अवैध क्लीनिकों का ऐसा रसूख बन चुका है कि जिम्मेदार अधिकारी अपनी ही कलम चलाने से डर रहे हों?

 

 

 

डिप्टी CMO और CMO—दोनों की यह चुप्पी बरेली की स्वास्थ्य व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करती है। जब अवैध क्लीनिकों को संरक्षण मिले, जांच की फाइलें बंद कर दी जाएं, निरीक्षण ठप हो जाए और सील किए गए क्लीनिक फिर से बेझिझक चल पड़ें—तो यह साफ हो जाता है कि “कार्रवाई न रुक रही है, कार्रवाई को रुकवाया जा रहा है।” न केवल अवैध क्लीनिकों पर तुरंत सख़्त कार्रवाई हो, बल्कि उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों की भी जांच हो, ताकि बरेली में लोगों की जिंदगी से हो रहा यह खतरनाक खिलवाड़ हमेशा के लिए बंद हो सके।

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