बरेली में उप नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ नैन सिंह के पद की भूमिका संदिग्ध, सीएमओ डॉ विश्राम सिंह ने किया था तैनात, सीएचसी से किया था ट्रांसफर!!

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बरेली में उप नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ नैन सिंह के पद की भूमिका संदिग्ध, सीएमओ डॉ विश्राम सिंह ने किया था तैनात, सीएचसी से किया था ट्रांसफर!!

बरेली में अधिकारी का नया पद ‘ईजाद’! योगीराज में मनमानी के आरोपों ने उठाए कई सवाल

शानू कुमार बरेली 

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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहाँ एक अधिकारी द्वारा ऐसा पद “निर्मित” कर दिया गया, जो राज्य की किसी भी नियमावली या स्वास्थ्य ढांचे में मौजूद ही नहीं है। इस अनोखी नियुक्ति ने न केवल शासन-प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि विभागीय मंशा पर भी गंभीर शंकाएं पैदा कर दी हैं।

 

 

 

सूत्रों के अनुसार बरेली में एक चिकित्सक को “उपनगर स्वास्थ्य अधिकारी” नामक पद पर तैनात किया गया, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग की किसी भी आधिकारिक संरचना में ऐसा कोई पद मान्यता प्राप्त नहीं है। यह नियुक्ति न तो शासनादेश के अनुरूप दिखाई देती है, न ही किसी नगर पालिका/नगर निगम के पद ढांचे में इसका उल्लेख मिलता है। स्थानीय अधिकारियों की यह मनमानी व्यवस्था नागरिकों के बीच असमंजस और अविश्वास पैदा कर रही है।

 

 

 

 

हालांकि इस गैर-मान्यता प्राप्त पद को किस उद्देश्य से बनाया गया, यह अधिकारी स्पष्ट रूप से बताने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार, बिना पंजीकरण चल रहे क्लीनिक, अवैध नर्सिंग होम और अस्पतालों की मनमर्जी के मामलों को देखते हुए यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि ऐसा पद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने या “उगाही तंत्र” को मजबूत करने के लिए भी प्रयोग हो सकता है। विभागीय चुप्पी इस शक को और गहरा रही है।

 

 

 

 

रिपोर्ट्स के अनुसार तैनात अधिकारी पिछले कई महीनों से उसी पदनाम के साथ कार्य कर रहे हैं, जबकि उन्हें कभी वैध रूप से उप नगर स्वास्थ्य अधिकारी या किसी अधिकृत पद पर नियुक्त नहीं किया गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा न तो इस पद की जिम्मेदारियों का उल्लेख किया गया है, और न ही किसी आधिकारिक सूची में इसका नाम दिखाई देता है। ऐसे में यह मामला सीधे-सीधे प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही को चुनौती देता है।

 

 

 

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य-सेवा से जुड़े लोगों ने इस मामले की जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है कि यदि अधिकारी अपनी क्षमताओं से परे जाकर पदों का ‘निर्माण’ करने लगें, तो पूरा स्वास्थ्य तंत्र भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का केंद्र बन सकता है। नागरिकों का विश्वास बनाए रखने के लिए सरकार और शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों को इस नियुक्ति की वैधता, प्रक्रिया और उद्देश्य पर तत्काल स्पष्टता देनी चाहिए।

 

 

 

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