मथुरा भीषण सड़क हादसा: मौत के तांडव के बीच ममता की मिसाल, बच्चों को खिड़की से फेंक खुद आग की लपटों में समा गई पार्वती
मथुरा (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में यमुना एक्सप्रेसवे पर घने कोहरे के कारण हुए एक भीषण सड़क हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में अब तक 13 लोगों की जिंदा जलकर मौत होने की पुष्टि हुई है। लेकिन इस भयावह मंजर के बीच एक मां के बलिदान की ऐसी कहानी सामने आई है, जिसे सुनकर हर किसी की आंखें नम हैं।
मौत को सामने देख जागी ‘ममता’
हादसे के वक्त बस में सवार 42 वर्षीय पार्वती ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया। जैसे ही बस में आग लगी और चीख-पुकार मची, पार्वती ने तुरंत सूझबूझ दिखाई। उन्होंने बस की खिड़की से अपने दो बच्चों, सनी और प्राची को बाहर की तरफ धकेल दिया। बच्चों की जान तो बच गई, लेकिन आग की लपटें इतनी तेज थीं कि पार्वती खुद बाहर नहीं निकल सकीं।
अस्पतालों और मुर्दाघरों में तलाश
हादसे के बाद से ही पार्वती लापता हैं। उनकी ननद, गुलजारी, बदहवास होकर अपनों को तलाश रही हैं। वह कभी अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड तो कभी अपनों की शिनाख्त के लिए शवों के बीच पार्वती को ढूंढ रही हैं। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और वे किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हैं, हालांकि प्रशासन द्वारा जारी मृतकों की सूची और गंभीर रूप से झुलसे लोगों के बीच पार्वती का सुराग अब तक नहीं मिल पाया है।
हादसे का मुख्य कारण: ‘सफेद मौत’ का कोहरा
प्रारंभिक जांच के अनुसार, एक्सप्रेसवे पर विजिबिलिटी शून्य के करीब थी। घने कोहरे के कारण बस आगे चल रहे वाहन से टकरा गई और देखते ही देखते डीजल टैंक फटने से आग लग गई। पुलिस और प्रशासन की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। मुख्यमंत्री ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए घायलों के समुचित उपचार और मृतकों के परिजनों को सहायता राशि देने के निर्देश दिए हैं।
“पार्वती ने बच्चों को तो बचा लिया, लेकिन वह खुद कहां है, हमें नहीं पता। हम हर जगह उसे ढूंढ रहे हैं।” — गुलजारी (पार्वती की ननद)