आबकारी विभाग पर फूटा पूर्व विधायक का गुस्सा: बोले- ‘युवाओं को नशे की आग में धकेल रहा है सरकारी महकमा’
मुकेश कुमार
लालकुआँ (नैनीताल): उत्तराखंड के लालकुआँ क्षेत्र में अवैध नशे के बढ़ते जाल और आबकारी विभाग की संदिग्ध चुप्पी ने अब राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। पूर्व विधायक नवीन दुमका ने क्षेत्र में खुलेआम बिक रही अवैध शराब, वैध शराब की अवैध बिक्री और तेजी से फैल रहे नशीले इंजेक्शन, स्मैक तथा ड्रग्स के कारोबार को लेकर आबकारी महकमे पर अब तक का सबसे तीखा प्रहार किया है।
दुमका ने विभाग की कार्यप्रणाली को पूरी तरह लचर, उदासीन और हास्यास्पद बताते हुए कहा कि विभाग की निष्क्रियता के कारण ही आज समाज के साथ-साथ युवा पीढ़ी नशे के दलदल में धंसती जा रही है। उन्होंने आबकारी अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब विभाग की नाक के नीचे नशे का सिंडिकेट फल-फूल रहा हो, तो उसकी जवाबदेही तय होना बेहद जरूरी है।
आबकारी विभाग की कार्यशैली पर कटाक्ष करते हुए नवीन दुमका ने कहा कि विभाग की नीति विरोधाभासों से भरी हुई है, क्योंकि वे एक ही बोर्ड पर यह लिखवाते हैं कि ‘शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’ और उसी बोर्ड पर तीर लगाकर शराब की दुकान का रास्ता भी दिखाते हैं। उन्होंने चिंता जताई कि अब मामला केवल शराब तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि नशीले इंजेक्शन और स्मैक की अवैध बिक्री ने स्थिति को और अधिक भयावह बना दिया है।
दुमका ने स्थानीय पुलिस के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस स्तर पर तो कुछ कार्रवाई दिखाई देती है, लेकिन आबकारी विभाग का पूरी तरह से आंखें मूंदे रखना शासन-प्रशासन की मंशा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि यदि जल्द ही इन अवैध गतिविधियों पर प्रभावी रोक नहीं लगाई गई, तो वे इस गंभीर विषय को मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे और विभाग के लापरवाह अधिकारियों की जवाबदेही तय कराएंगे।
वहीं दूसरी ओर, सामाजिक सरोकारों से जुड़े पियूष जोशी ने भी अवैध नशे के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रशासन को सख्त अल्टीमेटम दिया है। जोशी ने कहा कि क्षेत्र का सामाजिक माहौल लगातार दूषित हो रहा है और नशे के सौदागरों ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन ने समय रहते ठोस कार्रवाई सुनिश्चित नहीं की, तो क्षेत्र की जनता को साथ लेकर एक उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। इस विरोध के बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि कुंभकर्णी नींद में सोया आबकारी विभाग अपनी सुस्ती त्याग कर नशे के अवैध ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ाएगा।