बड़ी खबर: मनरेगा की जगह लेगा ‘VB-GRAM G’, संसद से मिली मंजूरी; अब साल में मिलेगा 125 दिन काम
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (VB-GRAM G) विधेयक, 2025 को राज्यसभा से भी हरी झंडी मिल गई है। लोकसभा के बाद अब उच्च सदन से पारित होने के साथ ही इस बिल के कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है। अब इसे अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
यह नया कानून दशकों से चले आ रहे ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ (MGNREGA) की जगह लेगा।
प्रमुख बदलाव: 100 की जगह अब 125 दिन का रोजगार
इस विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण पहलू रोजगार के दिनों में बढ़ोतरी है। अब तक ग्रामीण परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के गारंटीशुदा रोजगार का अधिकार था, जिसे बढ़ाकर अब 125 दिन कर दिया गया है। सरकार का मानना है कि इससे ग्रामीण परिवारों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
सिर्फ मजदूरी नहीं, अब ‘आजीविका’ पर भी जोर
‘विकसित भारत- ग्राम’ मिशन का उद्देश्य केवल शारीरिक श्रम तक सीमित नहीं है। बिल के प्रावधानों के अनुसार:
कौशल विकास: श्रमिकों को उनकी रुचि के अनुसार ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे स्वरोजगार की ओर बढ़ सकें।
आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर: इसके तहत होने वाले कार्यों को ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्यों से जोड़ा जाएगा।
डिजिटल पारदर्शिता: भुगतान और हाजिरी की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाने पर जोर दिया गया है।
विपक्ष और सरकार का तर्क
जहाँ सरकार इसे ग्रामीण भारत के लिए ‘गेम चेंजर’ बता रही है, वहीं विपक्ष ने इसके कार्यान्वयन और बजट आवंटन को लेकर सवाल उठाए हैं। सरकार का कहना है कि यह बदलाव ग्रामीण भारत को ‘गरीबी’ से निकालकर ‘समृद्धि’ की ओर ले जाने की एक बड़ी पहल है।
राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार
संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद अब यह बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह देशभर में लागू हो जाएगा और मनरेगा इतिहास का हिस्सा बन जाएगा।
मुख्य बातें एक नज़र में:
नया नाम: विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (VB-GRAM G)
रोजगार गारंटी: 125 दिन (पहले 100 दिन था)
लक्ष्य: ग्रामीण आय में वृद्धि
और कौशल विकास।