Advertisements
अमीरों के रसूख तले दबा काशीपुर RTI में खुलासा—मुरादाबाद रोड पर 98 रसूखदारों ने किया सड़क पर कब्जा, सिस्टम की मिलीभगत से जनता बेहाल
काशीपुर: शहर में जाम और अतिक्रमण की समस्या का जब भी जिक्र होता है, तो प्रशासन का डंडा अक्सर गरीब फड़-खोखे वालों या रिक्शा चालकों पर ही चलता है। लेकिन सूचना के अधिकार (RTI) से हुए एक बड़े खुलासे ने शहर के तथाकथित ‘सभ्य और रसूखदार’ वर्ग की पोल खोल कर रख दी है। आरटीआई कार्यकर्ता और अधिवक्ता नदीम उद्दीन द्वारा लोक निर्माण विभाग (PWD) से हासिल की गई जानकारी के अनुसार, काशीपुर की मुख्य सड़कों पर बड़े अस्पतालों, शोरूमों और स्थायी दुकानदारों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं, जिसके कारण आम जनता सड़कों पर रेंगने को मजबूर है।
मुरादाबाद रोड पर 98 बड़े अतिक्रमणकारी चिह्नित
पीडब्ल्यूडी की लोक सूचना अधिकारी इंजीनियर नेहा शर्मा द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, मुरादाबाद रोड (किमी 156 से 159 तक) पर विभाग को 98 पक्के अतिक्रमण मिले हैं। इनमें बड़े नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर, स्कैन सेंटर और शोरूम शामिल हैं। विभाग की रिपोर्ट बताती है कि राष्ट्रीय राजमार्ग-74 की चौड़ाई अलग-अलग क्षेत्रों में 16 मीटर से लेकर 45 मीटर तक है, लेकिन रसूखदारों ने अपनी दुकानों को सड़कों तक बढ़ाकर और सड़कों को अपनी निजी ‘स्थायी पार्किंग’ बनाकर सरकारी भूमि को बंधक बना लिया है।
अधिकारियों की चुप्पी और मिलीभगत पर सवाल
नदीम उद्दीन का कहना है कि अतिक्रमण की समस्या तब तक हल नहीं हो सकती जब तक लोक निर्माण विभाग, नगर निगम, पुलिस और परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई न हो। आरोप है कि कई अधिकारी और कर्मचारी अपनी ड्यूटी निभाने के बजाय अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देते हैं। नियमानुसार, यदि नगर निगम के कर्मचारी प्रतिदिन नाले-नालियों की सफाई करें, तो नाले पर हुआ अतिक्रमण उसी वक्त पकड़ा जा सकता है। लेकिन यहाँ प्रशासन केवल गरीब रेहड़ी वालों पर कार्रवाई कर खानापूर्ति करता है, जबकि बड़े शोरूम मालिक सड़कों पर भारी वाहन खड़े करवाकर जाम लगवाते हैं।
मजबूत कानून के बावजूद बेअसर कार्रवाई
हैरानी की बात यह है कि अतिक्रमण रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण अधिनियम 2002, उत्तराखंड सड़क संरचना सुरक्षा अधिनियम 2014 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) जैसी सख्त धाराएं मौजूद हैं। सड़कों को नुकसान पहुँचाने या जल निकासी रोकने पर 5 साल तक की सजा का प्रावधान है, फिर भी काशीपुर में अमीर अतिक्रमणकारी बेखौफ हैं। इतना ही नहीं, यह भी सामने आया है कि कुछ बड़े दुकानदार तो अपनी दुकान के आगे सरकारी सड़क पर फड़ लगवाने के लिए गरीब विक्रेताओं से अवैध किराया तक वसूल रहे हैं।
समाधान: जवाबदेही तय करना जरूरी
नदीम उद्दीन का स्पष्ट मानना है कि जब तक अतिक्रमण को बढ़ावा देने वाले सरकारी कार्मिकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और सेवा नियमावली के तहत निलंबन या बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं होगी, तब तक काशीपुर को जाम से मुक्ति नहीं मिलेगी। वर्तमान व्यवस्था में अमीर अतिक्रमणकारी फायदे में रहता है और इसका खामियाजा हमेशा सड़क का उपयोग करने वाले आम नागरिक और गरीब तबके को ठिठुरन और जाम के बीच भुगतना पड़ता है।
Advertisements