DFO प्रकाश चंद्र आर्य के निर्देशन में तराई पश्चिमी वन प्रभाग की बड़ी कार्रवाई; अवैध खनन और लकड़ी तस्करों के मंसूबों पर फिरा पानी

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DFO प्रकाश चंद्र आर्य के निर्देशन में तराई पश्चिमी वन प्रभाग की बड़ी कार्रवाई; अवैध खनन और लकड़ी तस्करों के मंसूबों पर फिरा पानी

अज़हर मलिक

“कानून के हाथ लंबे होते हैं और जब बात वन संपदा की रक्षा की हो, तो तराई पश्चिमी वन प्रभाग के तेवर और भी सख्त हो जाते हैं; क्योंकि शिकारी चाहे कितना भी शातिर क्यों न हो, वह वन विभाग की पैनी नजरों से बच नहीं सकता।” इसी फिल्मी हकीकत को आज धरातल पर सच कर दिखाया है प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) प्रकाश चंद्र आर्य ने, जिनके कुशल नेतृत्व में टीम ने अवैध गतिविधियों पर जोरदार प्रहार किया है।

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आज दिनांक 22 दिसंबर 2025 को डीएफओ के निर्देशन में उप प्रभागीय वनाधिकारी, वन क्षेत्राधिकारी और प्रशिक्षु वन क्षेत्राधिकारी की संयुक्त टीम ने वन सुरक्षा बल के साथ बाबा घाट, मानकी घाट, प्रधान घाट और सत्ता घाट सहित बंजारी के नदी क्षेत्रों में ऐसा ‘फ्लैग मार्च’ किया कि खनन माफियाओं के होश फाख्ता हो गए। विभाग की इस गर्जना को सुनकर तस्करों में ऐसी अफरा-तफरी मची कि वे अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां मौके पर ही छोड़कर जान बचाकर भाग खड़े हुए, जिसके बाद टीम ने बिना कागजों के मिले एक डंपर और एक ट्रैक्टर-ट्रॉली को तत्काल अपनी गिरफ्त में लेकर गुलजारपुर चौकी में सीज कर दिया।

 

 

 

“गलत काम का अंजाम हमेशा बुरा होता है,” और आज डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य के जीरो टॉलरेंस विजन ने इसे माफियाओं के बीच साबित कर दिया। सत्ता घाट और बंजारी क्षेत्र में विभाग की धमक ऐसी थी कि अपराधियों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। अधिकारियों ने मौके पर लावारिस मिली ट्रॉलियों को भी तत्काल जब्त करने के कड़े आदेश दिए, जिससे यह साफ संदेश गया कि सरकारी संपत्ति पर डाका डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। वन विभाग की इस टीम ने न केवल नदी क्षेत्रों को खंगाला, बल्कि चप्पे-चप्पे पर अपनी पैनी नजर रखी ताकि वन संपदा की चोरी का कोई भी रास्ता माफियाओं के लिए खुला न रह सके। फील्ड में तैनात हर कर्मचारी को डीएफओ की ओर से स्पष्ट निर्देश थे कि कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी शख्स के प्रति कोई नरमी न बरती जाए, जिसका नतीजा विभाग की इस शानदार सफलता के रूप में सबके सामने है।

 

 

अभियान के आखिरी पड़ाव में जब टीम वापस लौट रही थी, तब उनकी नजर ग्राम उदयपुरी में एक ‘छोटा हाथी’ वाहन (UK19CA-1501) पर पड़ी और इसे भी “बचोगे नहीं” के अंदाज में जांच के लिए रोका गया। जब वाहन की सघन तलाशी ली गई तो उसमें आम और अन्य प्रजातियों के सोख्ता (प्रकाष्ठ) लदे पाए गए, लेकिन वाहन चालक के पास तस्करी को जायज ठहराने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं थे। बिना देर किए टीम ने लकड़ी और वाहन को अपनी अभिरक्षा में लेकर वर्कशॉप में खड़ा कर दिया। प्रकाश चंद्र आर्य के नेतृत्व में वन विभाग द्वारा की गई इस चौतरफा कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तराई पश्चिमी वन प्रभाग अब वन और खनिज संपदा की रक्षा के लिए एक ‘अभेद्य दीवार’ बन चुका है, और तस्करों के हर नापाक इरादे को इसी तरह खाक में मिलाया जाता रहेगा।

 

 

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