काशीपुर का अस्पताल बना भूत बंगला,उद्घाटन करने की जिसने सोची उस की हुई मौत,गहरा राज

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काशीपुर का अस्पताल बना भूत बंगला,उद्घाटन करने की जिसने सोची उस की हुई मौत,गहरा राज

उत्तराखंड के काशीपुर में एक अस्पताल ऐसा भी है, जो तैयार तो 37 साल पहले हो चुका था,लेकिन तैयार होने के बाद आज तक विरान पड़ा है जिसका उद्घाटन अब तक किसी ने नहीं किया, जिसने भी इस के उद्घाटन के लिए अपना नाम आगे किया वह किसी ना किसी कारणवश मौत के काल में सो गया, अब वह चाहे पूर्व प्रधानमंत्री हो या फिर पूर्व मुख्यमंत्री जी हां चौंकिए मत यह हकीकत है, काशीपुर में सीतापुर आंखों का अस्पताल 1985 में बनकर तैयार हो गया था, स्थानीय को लगा कि अब उस से जुड़ी बीमारियों का खात्मा हो सकेगा लेकिन किसको पता था कि यह अस्पताल बीमारियों का समाधान करने से तो दूर , और लोगों की समस्या बढ़ा देगा, इस अस्पताल का नाम कई बड़ी हस्तियों से जुड़ा है

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जो इसका उद्घाटन करने वाले थे, दरअसल जिसने भी इस का उद्घाटन करने का जिम्मा उठाया उसकी किसी न किसी कारण वर्ष मौत हो गई स्थानीय लोगों की मानें तो देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी स्वर्गीय राजीव गांधी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह जैसे और भी कहीं ऐसे बड़े नाम हैं, जिनका नाम इस अस्पताल के उद्घाटन से जुड़ा और उनके साथ हादसा हुआ और मौत हो गई बस इतना ही नहीं इस अस्पताल की नींव रखने वाले की भी अकाल मृत्यु हो गई, खंडहर हो रहे अस्पताल अपनी बदहाली के आंसू बहाने के लिए मजबूर है, बिल्डिंग कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता, अस्पताल के इतिहास को लेकर अब लोग तरह- तरह की बातें करने लगे लोगों का मानना है ,यहां बुरे साए का साया है, इसलिए ना आज तक उद्घाटन हुआ और ना ही मरम्मत और ना ही सौंदर्य करण शायद इसी वजह से सीतापुर आंखों के अस्पताल को अब भूत बंगले के नाम से भी जाना जाता है, हालांकि पर आज का युग इन बातों पर विश्वास नहीं करते पर सोचने वाली बात है

कि 1985 में तैयार हुए इस अस्पताल में आज तक कोई क्यों उद्घाटन नहीं कर पाया,आखिर क्यों 37 गुजरने के बाद भी इस अस्पताल का सौंदर्यीकरण एक बार भी नहीं हुआ, क्यों आज ये अपने बदहाली के आंसू बहा रहा है,विज्ञान को समझने वाले इन बातों पर विश्वास नहीं करते इसलिए इसके निर्माण उद्धार के लिए शासन को भी कई पत्र लिखे गए लेकिन अब तक उन खातों की कोई सुध नहीं ली गई लोगों का कहना है कि सरकार इस पर ध्यान देकर इस अस्पताल का सौंदर्यीकरण कर दे, ताकि लोगों को आंखों का अच्छा इलाज मिल सके।

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