PM Modi को हराने के लिए KCR ने लगाया अपना पूरा दम-खम 2024 में चुनावी बिगुल

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PM Modi को हराने के लिए KCR ने लगाया अपना पूरा दम-खम 2024 में चुनावी बिगुल

 

अज़हर मलिक

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जिन राज्यों में एक दूसरे की सूरत भी पसंद ना थी। वो आज मोदी से मुकाबले के लिए एक साथ आ रहे हैं।चंद्रशेखर? राव चंद्रशेखर राव ने तो मोदी को हराने के लिए अपनी पार्टी का नाम ही बदल दिया।लोकसभा चुनाव से पहले केसीआर ने दिल्ली में दस्तक दी है। पार्टी ऑफिस।का उद्घाटन किया। समारोह में अखिलेश यादव और एचडी कुमारस्वामी भी पहुंचे थे। गौरी? 2024 के रण की शुरुआत सब ने कर दी है और इस रेस में तेलंगाना वाले चंद्रशेखर राव भी पीछे।

 

2024 के रण की शुरुआत सब ने कर दी है और इस रेस में तेलंगाना वाले चंद्रशेखर राव भी पीछे।चुनाव आयोग से केसीआर को राष्ट्रीय पार्टी का सर्टिफिकेट तो नहीं मिला है, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति जरूर रख दिया। मतलब टी आर एस से अब केसीआर की पार्टी बी आर एस हो गयी।और उससे भी बड़ी बात दिल्ली में पार्टी का दफ्तर खुल गया।और उससे भी बड़ी बात दिल्ली में पार्टी का दफ्तर खुल गया।

केसीआर के अब की बार किसान सरकार पोस्टर पर केसीआर और पीछे जो आप तस्वीरें देखते है वो है दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की नारा, चेहरा और तस्वीर पॉलिटिकल ऑप्टिक्स में ये इशारा करती है। की आखिर के चंद्रशेखर राव दक्षिण भारत के तेलंगाना से आने वाले उस नेता के राष्ट्रीय महत्वकांक्षाएं अब क्या है? वैसे तो पिछले कई दिनों में कई महीनों में उन्होंने लगातार विपक्ष के नेताओं से मुलाकात की, लेकिन एक बड़ा संकेत देते हुए सबसे पहला कदम था वो ये एक तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति करना और अब जब उसे मंजूरी मिल गई है तो देश की राजधानी दिल्ली में केसीआर ने अपना दफ्तर भी खोल दिया।

उस दफ्तर में आप तस्वीरें भी देख पा रहे हैं केसीआर की और साथ ही उनकी पार्टी का झंडा वही नाम नया। अब टीआरएस के साथ वो हो गया है वीआरएस तेलंगाना राष्ट्र समिति बदल चुकी है भारत राष्ट्र समिति में और इसीलिए विपक्ष के कुछ नेताओं को बुला करके उन्होंने दिल्ली में अपना दफ्तर भी खोल दिया है। दफ्तर का उद्घाटन भी हो चुका है और अब केसीआर अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए दक्षिण के किले से निकल करके उत्तर भारत हिंदी जिसे कहा जाता है, वहाँ दायरा बढ़ाने की कोशिश करेंगे।अखिलेश यादव जो नीतीश कुमार के नाम का पोस्टर लखनऊ में चिपका रहे थे, वहीं अखिलेश केसीआर के दफ्तर में भी नजर आए। अखिलेश सिर्फ अकेले नहीं थे। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी भी साथ आए थे। केसीआर को लगता है कि दिल्ली पर फोकस हैदराबाद में बैठकर नहीं कर सकते, इसलिए वो एक साथ कई मोर्चों को साधने की कोशिश में लगे। केसीआर मुंबई में शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मिलते हैं। बिहार में नीतीश कुमार से जाकर मिलते हैं, लेकिन जब दिल्ली में दफ्तर खोलते हैं तो केजरीवाल नहीं आते।जानकार कहते हैं कि चंद्रशेखर राव हरियाणा और पंजाब से 2024 पर फोकस करना चाहते हैं और इसी नीती से केजरीवाल खफा है। उधर, हरियाणा के बड़े किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को केसीआर ने पार्टी के किसान विंग का अध्यक्ष बनाए। अब हरियाणा और पंजाब में तेलंगाना मॉडल का प्रचार करेंगे। इतना ही नहीं 2014 में बीजेपी के चुनावी नारे अबकी बार मोदी सरकार की नकल करते हुए केसीआर ने नया नारा दिया है। अबकी बार किसान सरकार।केसीआर का दावा है कि वो देश भर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराए। इस दावे के साथ उन्होंने इस सवाल को और बड़ा कर दिया है। 2024 में पीएम मोदी के खिलाफ़ कौन? बंगाल, बिहार, दिल्ली के बाद 2024 के दंगल में दक्षिण की भी एंट्री होने से क्या बीजेपी के लिए आगे के रास्ते आसान होंगे या नहीं? मुश्किलें खड़ी होंगी।

 

जानकारों का मानना है कि चंद्रशेखर राव को दूसरी पार्टियां तब तक ही पसंद है जब तक वो उनके पीछे चलने को तैयार। हैदराबाद नगर निगम चुनाव और तेलंगाना उपचुनाव में भी उन्होंने विपक्षी एकता की बात की थी, लेकिन बात बन नहीं पायी। केसीआर का नाम लेने से भी कांग्रेस किनारे हो जाती है। स्पष्ट है कि गठबंधन को मोदी नाम जोड़ता तो है, लेकिन अपनी अपनी महत्त्व के चलते हर बार गठबंधन टूटा ही।

 

 

 

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