अंधविश्वास में गई जान मेरी गर्दन काट दो_ मैं तुम्हारा जीवन बदल दूंगा दैवीय शक्ति के लिए चेले से चढ़वा दी अपनी ही बलि

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अंधविश्वास में गई जान मेरी गर्दन काट दो_ मैं तुम्हारा जीवन बदल दूंगा दैवीय शक्ति के लिए चेले से चढ़वा दी अपनी ही बलि

 

 

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अंधविश्वास यह एक ऐसा शब्द है जिसने ना जाने कितने बेगुनाहों की जिंदगी तबाह कर दी है। यह एक ऐसा शब्द है जिसने अनगिनत लोगों को जुर्म के रास्ते पर धकेल दिया है। ये एक ऐसा शब्द है जिसमें ना जाने कितने लोग कातिल बन गए।कुछ ऐसा ही अंधविश्वास का मामला आया है प्रयागराज से सामने जहाँ पर प्रयागराज के करछना में एक शख्स ने अपने।शिष्य को बोला कि तुम मेरी गर्दन काट दो, मैं जिंदा होकर हरिद्वार में फिर तुम से मिलूंगा। ने कहा कि गुरु जी ने ही अपनी हत्या का आदेश दिया था, वो जरूर वापस आएँगे।दरअसल उस गुरु के शिष्य का कहना है कि गुरूजी जिन्दा हो जाते तो आज मैं पैसों में खेल रहा होता। उन्होंने कहा था वो 1 घंटे में वापस आ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वो तो अभी तक नहीं आये, उल्टा पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। मैंने तो वही किया जो गुरूजी ने कहा था, मैंने तो अपने जीवन में किसी को थप्पड़ नहीं मारा होगा। किसी का खून कैसे करूँगा?गुरूजी ने कहा मेरा गला काट तो। मैंने वैसा ही कर दिया। मुझे आज भी विश्वास है कि मेरे गुरु जी आएँगे और मुझे जेल से छुड़ा कर ले जाएंगे। तब तक मैं उनकी आराधना करूँगा।छह महीने से हम लोग दिव्य शक्तियां प्राप्त करने की तैयारी कर रहे हैं।यह कहना है वकील और बाद में साधु बने आशीष की हत्या करने के आरोपी शिष्य नीतीश था। नीतीश को पुलिस की कस्टडी में आने के बाद भी ये लग रहा है कि ये सब उसका एक परीक्षा हो रही है। उसका एग्जाम चल रहा है और अगर वो बिना किसी डर के वो इसे पास कर लेगा तो उसके गुरूजी उसको आशीर्वाद देंगे और फिर उसके जीवन में खुशियां ही खुशियां होंगी।दरअसल, प्रयागराज के करछना में 11 दिसंबर को झाड़ियों के बीच पुलिस को एक गला कटा हुआ शव मिला था।जब जांच हुई तो पता चला की ये जो शव है वो आशीष का है जो पेशे से वकील हैं और जो करछना का ही रहने वाला है। उसकी एक पार्टी भी है जिसका नाम जनाधार शक्ति पार्टी था।काफी वक्त से वो घर से लापता था। उसके नाम की एक मिसिंग कंप्लेन भी फाइल थी, जो करछना थाने में दर्ज है।यह भी सामने आया पुलिस की जांच में की। उसके ऊपर करीब ₹30,00,000 का कर्ज था। शव मिलने के बाद आशीष के भाई ने बल्कि जो उसका भाई है रवि दीक्षित उसने मुकेश नाम के एक शख्स पर हत्या का आरोप लगाया क्योंकि आशीष ने अपनी पार्टी बनाने के लिए मुकेश से करीब ₹15,00,000 उधार लिए थे। तो परिवार जो है आशीष का उससे उसने सबको यही लग रहा था की पैसो के लिए आशीष की हत्या हुई है। लेकिन जब पुलिस ने पूरे मामले की परत खोलने शुरू करी जब एक एक सच सामने आया तो पुलिस के साथ साथ उसके परिवार वाले भी हैरान थे कि आशीष के कतल के पीछे कोई और नहीं बल्कि खुद आशीष ही है।असल में वकील की मौत की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस ने हर एंगल से जांच करी। हर तफ्तीश करि हर हर चीज़ करी। इसी बीच पुलिस को जब घर वालो ने बोला कि मुकेश ने हत्या की है तो मुकेश के बारे में जब पुलिस ने पूछ्ताछ करेगी जांच निकाली तो पता चला कि मुकेश का तो इसका से कोई लेना देना है ही नहीं।बहरहाल पुलिस ने फिर आशीष का जो मोबाइल फ़ोन था उसकी लोकेशन निकाली उसको खंगाला तो पता चला कि आशीष का जो फ़ोन है वो हरिद्वार में है।अब पुलिस ने जब आशीष के फ़ोन के लोकेशन पे पहुंचे हरिद्वार पहुंचे तो वो फ़ोन वहाँ पे।आशीष के पास तो नहीं मिला बल्कि उसका जो शिष्य था।अब नीतीश के लिए कोई अपराध नहीं था क्योंकि उसे तो लग रहा था। उसने गुरु जी के कहने पर ही गुरु जी की हत्या की है तो वो बड़े आराम से बाजार में घूम रहा है, रह रहा है, खा पी रहा है, मज़े कर रहा है पूजा पाठ कर रहा है।लेकिन जब पुलिस आशी आशीष के कतल के लिए नीतीश तक पहुंची तो उसने बड़ा हैरान करने वाली बात पुलिस को बताई।आशीष ने पुलिस को बताया कि।मुझे जो है।खुद गुरूजी ने बोला था की तुम मेरा मेरी गर्दन काट देना और उसके बाद मैं वापस जिंदा हो जाऊंगा।जब इस पूरे मामले पर आशीष ने नीतीश से पुलिस ने पूछ्ताछ करी तो उसने बताया नीतीश ने की मैं अपने घर से बहुत परेशान था। फाइनेन्स कंपनी में प्राइवेट नौकरी करने से मेरा भला नहीं हो रहा था। घर में पैसे नहीं दे पाता था। इन्हीं समस्याओं के बीच मई में मेरी मुलाकात हरिद्वार में हरकी पौड़ी में आशीष से हो गई, जो उसके गुरूजी।जब मैं आशीष से मिला था तो वो पूरा साधु बन चूके थे। उनके शरीर पर बस एक कपड़ा था, शरीर पर चंदन माला हुआ था। उन्होंने मुझे अपना शिष्य बनाया। उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि वह मेरी सारी समस्याओं को दूर कर देंगे। बस वो जैसा कहे मैं वैसा करता जाऊं।आशीष ने ये भी कहा कि नीतीश नौकरी छोड़ दो तो आज नीतीश ने नौकरी भी छोड़ दिया। शीर्ष के कहने पे परिवार ने इसका विरोध किया तो नीतीश ने घर भी छोड़ दिया था। अब आशीष और नीतीश हरिद्वार में ही एक कमरे में किराये पर रहने लगे। वहाँ लोगों के साथ वो तंत्र मंत्र दिखाकर पैसे लेते और अपना खर्च चलाते। काफी वक्त तक ये सब चलता रहा। नीतीश आगे बताता है कि 1 दिन आशीष ने उससे बोला शिष्य अब दिव्य शक्ति लेने का वक्त आ गया है। इसके लिए तुम्हें एक कठिन काम करना होगा।इसके बाद जो।नीतीश और आशीष थे वो दोनों वहाँ से निकल पड़े। आशीष नीतीश तो ये भी बोला कि कठिन वक्त के बाद तुम्हारे सारे दुख हमेशा के लिए दूर हो जाएंगे। नीतीश ने ये भी बताया कि हम लोग जहाँ रहते थे उस कमरे को खाली करके।8 दिसंबर को प्रयागराज की ट्रेन में ट्रेन में बैठ गए। मुझे तब ये नहीं पता था कि आशीष का घर यहीं पर हैं। उन्होंने मुझे अपना प्लैन भी नहीं बताया था। हम लोग प्रयागराज में एक होटल में रुके थे। वहाँ खाना पीना करने के बाद हम लोग उसी रात में मिर्जापुर के लिए निकल गए। गुरु जी ने मुझसे कहा था रास्ते में शांत रहना मुझे आराधना करनी है। मैं भी रास्ते में सो गया। मिर्जापुर आने पर गुरूजी ने मुझे उठाया। उन्होंने मुझसे कहा मैंविंध्यवासिनी के दर्शन करने जा रहा हूँ तो मैं वहाँ नहीं आना है तो मैं राम मंदिर के बाहर खड़े होकर इंतजार करो। मैं गुरूजी के कहने के अनुसार वहीं पर खड़ा रहा। करीब 1 घंटे के बाद गुरूजी वापस आ गए। वहाँ से वो बिना कुछ कहे मुझको 60 किलोमीटर पैदल चलाकर अर्चना के पास ले आए। वहाँ आकर वो मुझसे बोले मुझे अब सिद्धि मिल गई है, बस आखरी काम तुमको करना है।गुरूजी के ऐसा कहने पर मैं उनसे पूछता हूँ क्या काम जिसपर वो बोलते है मेरी हत्या?जो तुम करोगे गुरूजी की बात सुनकर मैं सुन रह जाता हूँ, मैं इस काम के लिए मना कर देता हूँ लेकिन वो कहते हैं सिद्धि खराब मत करो, वक्त निकल रहा है जैसे कह रहा हूँ करते रहूँ। महाभारत में वर्णित बार बरी की कहानी भी यूट्यूब पर दिखाई। गुरूजी रास्ते से एक चापड़ खरीद लेते हैं। उसके बाद हम लोग मर्दनपुर गांव में एक सुनसान तालाब के पास जाते हैं। वहाँ पर बांस की झाड़ियों के अंदर चले जाते हैं। उसके बाद गुरूजी पूजा करते हैं।

यहाँ पर को मिट्टी में गाड़ देते हैं। उसके बाद उनका उसका खून से तिलक करते हैं और करीब आधे घंटे तक उस ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ते हैं। उसके बाद एक शराब की बोतल निकालते हैं। वो मुझसे कहते हैं ये प्रसाद है तुम्हें भी इसका सेवन करना है। थोड़ी शराब वो चापड़ पे डालते हैं और फिर मुझसे कहते हैं मैं भी लेट जाऊंगा। इसके बाद तुम मेरी करदन इस से काट देना मेरी गर्दन से निकल रहे खून से अपना तिलक करना।उसके बाद आधे घंटे बाद मुझे खिलाकर देखना अगर मुझमें हलचल हो तो तुम रुक जाना, नहीं तो प्रयागराज स्टेशन चले जाना मैं वहीं पर तुमको मिल जाऊंगा अगर वहाँ भी ना मिल पाउ तो हरिद्वार चले जाना माँ का माँ।माँ का मर का मांस भी आ के मंदिर मैं मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा मुझसे इतना कहने के बाद गुरूजी शराब पीते हैं और नींद की गोलियां खा लेते है। उसके बाद मैं भी थोड़ी शराब पीता हूँ। गुरूजी मेरे सामने लेट जाते हैं और मैं उनके कहे अनुसार उनकी करदन को चापड़ से काट देता हूँ फिर उनमें कोई हरकत ना होने पर चला जाता हूँ। गुरूजी के कहने के अनुसार सारा सामान गंगा में बहा देता हूँ।फिर हरिद्वार आ जाता हूँ और तब से लेकर अभी तक मैं उनके इंतजार में ही बैठा हुआ हूँ। मुझे विश्वास है वो जल्द ही वापस लौटेंगे।इस पूरे मामले पर पुलिस का कहना है कि आशीष ने नीतीश का जो दिमाग था वो इतना ब्रेनवॉश कर दिया था कि उसे हत्या करने से लेकर अब तक पछतावा ही नहीं है।जिसतरह से नीतीश ने बयान दिया है उसके आधार पे यही लग रहा है कि वो मानसिक तौर पे उसके दिमाग में ये बस चुकी हैं बात की उसके जो गुरु जी है यानी आशीष वो वापस लौटेंगे और फिर उसके बाद उसको आशीर्वाद देंगे और फिर उन दोनों की जिंदगी सुधर जाएगी।वह तंत्र साधना के अंधविश्वास में इतना डूब गया था कि जिंस आशीष ने खुद को ही अपने शिष्य से बोल डाला कि तुम मेरा ही कतल कर दो, ज़रा सोचिये की।एक पढ़ा लिखा वकील उसके दिमाग पर किस कदर अंधविश्वास हावी हो चुका था कि उसने खुद अपने शिष्य से बोला की तुम मेरी गर्दन काट दो।और इतना ही नहीं वो आखिरी वक्त पर अपने शिष्य को यह भी बोलता है की मैं मरने के 1 घंटे बाद तुम्हें पहले स्टेशन पर मिलूंगा। अगर स्टेशन पे ना मिले तो तुम हरिद्वार पहुँच जाना, मैं वहाँ तो मैं ही जाऊंगा और दूसरी तरफ जो उसका शिष्य नितीश था वो तब से लेकर अभी तक अपने गुरु जी का इंतजार कर रहा है। उसे लग रहा है कि उसका एग्ज़ैम चल रहा है। उसकी परीक्षा हो रही है।बेनल? फिलहाल यह आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है और पुलीस इस मामले में और भी गहन जांच कर रही है। पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आशीष जो बोल रहा है क्या बाकी सच में ऐसा ही हुआ है? मगर अगर सच में ऐसा ही बात अगर सच में यही बात है अगर ऐसा ही हुआ है तो ज़रा सोचिए एक पढ़े लिखे इंसान जो खुद वकील हैं जैसे कानून के हर छोटी से छोटी बारीकी का पता है जिसे समाज में अच्छे बुरे का फर्क पता है, सही गलत की जानकारी है। उसके दिमाग पर तंत्र मंत्र किस तरीके से हावी हुआ कि उसने अपनी ही कतल की कहानी अपने शिष्य से रच डाली?मगर इस कहानी में आपको एक चीज़ में और बताओ कि आशीष के साथ या अचानक नहीं हुआ था? दरअसल आशीष जब पार्टी बनाना चाहता था तो उसके पास पैसा नहीं था। हालांकि वो काफी जान पहचान थी। उसकी फेमस था तो उसने लोगों से चंदा लेकर अपना पार्टी अपनी पार्टी शुरू कर दी। करीब ₹30,00,000 का उसने उधार भी उस पर कर्ज चढ़ लिया। अब जो उसके लेनदार थे वो आए दिन उसके घर पर आते हैं। कई बार उसकी लड़ाई झगड़ा भी हो। घर के आसपास मगर वो पैसे नहीं दे पा रहा था। इसी बीच उसका जो छोटा भाई था वो लापता हो जाता है और वो आज तक वापस नहीं लौटा। उसका छोटा भाई।तो बहरहाल, आशीष का जो छोटा भाई गायब हो जाता है तो उसको ढूंढने के लिए हर जगह कोशिश करता है पर वो नहीं मिल पाता है। जिसके बाद उत्तर मंत्र के चक्कर में पड़ गया।और धीरे धीरे उसने अपनी जिंदगी को तंत्र मंत्र के पूरे हवाले कर दिया। इसी बीच करीब।पिछले इसी साल मई के महीने के आसपास उसकी बेटी की भी मौत हो जाती है। आशीष और उसके घरवाले बोलते हैं की बच्ची जो थी उसकी पांच 6 साल के करीब उमर थी और उसको साथ में काटा है। उसकी मौत हुई है। हालांकि जो उसके भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार उसके जो पड़ोसी है, जो उसके रिश्तेदार है, उसके जो जानने पहचानने वाले गांव के आस पड़ोस के लोग हैं, उनका कहना है कि उनकी बेटी की जो मौत हुई है वो खुद आशीष ने ही की थी और तंत्र मंत्र के चक्कर में की है। इसका कोई सबूत नहीं है। हमारे पास ना इसके बारे में कोई एक थ्योरी है।लेकिन उसके आस पड़ोस के लोगों का यही कहना है।फिर अपनी बेटी की मौत के बाद वो मई के महीने में अपने घर छोड़कर वहाँ से गायब उदारता है और मई के महीने से लेके 11 दिसंबर को जब उसकी लाश मिली है, सर्किट हुई।तब तक उसके परिवार को कुछ नहीं पता था कि आशीष है कहा। लेकिन जब उसकी लाश मिली तब घरवालों का घरवालों का कहना है कि इतने महीनों के बाद मई से लेकर अ सेट तक अब जाकर हमें हमने आशीष का चेहरा देखा है। जब घर से गया था तब वो जिंदा था बट आज जब उसको देखा है तो उसकी लाश मिली है।

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