पत्रकारों के सवालों से बचते नजर आए बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगते आ रहे हैं एक बार फिर ज़मीन के विवाद में
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर सवाल उठ रहे है। आरोपों में एक आरोप ज़मीन कब्जे का भी है आरोप है कि दरबार कब्जे की ज़मीन पर बना है।
इसी मुद्दे को लेकर लल्लनटॉप के पत्रकार निखिल और अभिनव ने धीरेंद्र शास्त्री से सवाल किया तो सवाल धीरेंद्र शास्त्री इतना नागवार गुज़रा की पत्रकार निखिल अभिनव के सवाल करते ही वह निरुत्तर हो गए, तुरत ही कॉलर में लगा अपना माइक उतारना शुरू कर दिया। जबकि पत्रकारों द्वारा किए गए सवालों पर धीरेंद्र शास्त्री को सवालों के जवाब बेबाक़ी से देने चाहिए थे।
धीरेंद्र शास्त्री अपने ऊपर लगे आरोपो को झूठा साबित करने थे और पत्रकारों के साथ इस मुद्दे पर बेबाक़ी के साथ जवाब देते । मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे प्रकरण के बाद धरेंद्र शास्त्री ने पत्रकारों से वार्ता की और पत्रकारों के सवाल करने वाली वीडियो को शेयर करते हुए । पत्रकारों द्वारा बेबाकी के सवालों पर साहस की तारीफ़ कर रहे हैं।
पत्रकारों का सवाल
गढ़ा पंचायत में 12 लाख की राशि से बने सामुदायिक भवन पर कब्जा कर उसे धाम का नाम दिया।
राजनगर तहसील के खसरा नंबर 485/2, 482, 483 और 428 ये राजनगर तहसील में मसान, तलाब और पहाड़ के रुप में दर्ज है?
और इल्जाम है कि आपके सेवादार तालाब को पाटकर दुकानें बना रहे हैं?
जबकि तहसीलदार एक बार नोटिस दे चुके हैं?
वहां के लोगों का ये भी इल्जाम है।कि सरकारी संपत्ति पर टपरे और धाम के भी कुछ निर्माण थे. मगर सिर्फ टपरे तोड़े गए क्योंकि पार्किंग बनने वाली है?
धीरेंद्र शास्त्री का जबाव
सरकार अपना काम कर रही है। कलेक्टर की समिति है, कलेक्टर की देख रेख है। जगह पर भीड़-भाड़ से भगदड़ न हो इसलिए कलेक्टर वहां पार्किंग बना रही है. उसकी ग्राम पंचायत उगावनी कर रही है. लोगों और आपको चाहिए TRP वो आपको मिलेगी बागेश्वर धाम से।
पत्रकारों का दूसरा सवाल
वहां 15 लोगों की निजी स्वामित्व की ज़मीन है ? उन लोगों पर दबाव है ।कि वो अपनी ज़मीन को धाम को बेचें. इसके चलते कुछ दिन पूर्व एक शख्स ने अपनी ज़मीन धाम को बेची भी. और एक पटवारी हैं ।पवन अवस्थी, जो आपके सेवादारों के साथ मिलकर लोगों पर ज़मीन बेचने का दवाब बना रहे हैं. ऐसे आरोप हैं.
धीरेंद्र शास्त्री का जबाव
क्या भारत में कानून व्यवस्था नहीं है। या हमारे जिले में कानून व्यवस्था नहीं है। हमारा किसी की निजी ज़मीन का कोई मैटर ही नहीं है. हम किसी के पास जाते ही नहीं हैं. हमें किसी की ज़मीन से मतलब नहीं है