कुमाऊनी के आदि कवि गुमानी की जयंती धूमधाम से मनाई गई
मोहम्मद कैफ खान
रामनगर : पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर के हिंदी विभाग में कुमाऊनी तथा खड़ी बोली के आदि कवि पंडित लोकरत्न पंत ‘गुमानी’की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई। विभाग प्रभारी हिंदी प्रोफेसर गिरीश चंद्र पंत ने गुमानी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए बताया कि गुमानी कुमाऊनी के ही नहीं बल्कि खड़ी बोली के भी आदि कवि कहे जाते हैं। वह प्रथम राष्ट्र कवि भी थे।
पंडित लोगरत्न पंत गुमानी मूल रूप से जनपद पिथौरागढ़ के तहसील गंगोलीहाट में स्थित ग्राम उपराड़ा के मूल निवासी थे इनका जन्म 11 मार्च 1790 को काशीपुर में हुआ था।इनके पिता का नाम पंडित देव निधि पंत एवं माता का नाम देवमंजरी देवी था। इनका विवाह 24 वर्ष की उम्र में हो गया था। इनकी अधिकांश रचनाएं संस्कृत भाषा के में लिखी हैं जो इनके पांडित्य एवं आचार्यत्व की साक्षी हैं।गुमानी नेपाली,फारसी एवं खड़ी बोली के उद्भट विद्वान थे। कुमाऊंनी खड़ी बोली के प्रथम कवि होने के साथ-साथ गुमानी प्रथम राष्ट्र कवि भी थे।
गोरखा राज वर्णन गुमानी की निर्भीकता का प्रमाण है आशु कवि गुमानी तत्काल कविता करने की सामर्थ्य रखते थे। संस्कृत,खड़ी बोली, कुमाऊनी और नेपाली भाषा में कविता लिख देना कवि की प्रतिभा का परिचायक है।सन 1846 में 56 वर्ष की उम्र में इस जनवादी विलक्षण प्रतिभा संपन्न कवि का देहावसान हो गया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर एम.सी. पांडे ने कहा कि गोरखा शासन के विरुद्ध कविता लिखना गुमानी जैसे ही निर्भीक कवि के बस की बात थी। इस अवसर पर डॉ.दुर्गा तिवारी ने गुमानी की कविताओं का सस्वर पाठ किया।कार्यक्रम में डॉ.रीता तिवारी,डॉ डी.एन.जोशी, डॉ.पी.सी. पालीवाल,डॉ. लव कुश चौधरी, डॉ.आर.एस. कनौजिया एवं छात्र संघ पदाधिकारियों सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।