आयतुल कुर्सी हिंदी में – सबसे ताकतवर आयत का मतलब, फायदे और कब पढ़ें
“आयतुल कुर्सी” यानी “अल्लाह का ताज” – कुरआन की सबसे ताकतवर आयत मानी जाती है। यह सूरह अल-बक़रा की आयत नंबर 255 है और इसे पढ़ने से इंसान पर शैतानी ताकतों का कोई असर नहीं होता।
इस खबर में जानिए:
आयतुल कुर्सी का हिंदी में पूरा अनुवाद
इसका इस्लामिक महत्व
कब और क्यों पढ़ना चाहिए
और इसके पढ़ने से मिलने वाले फायदों के बारे में
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📖 आयतुल कुर्सी (हिंदी अनुवाद):
“अल्लाह, उसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं। वह जीवित है, सदा रहने वाला है। उसे न ऊंघ आती है और न नींद। जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है, सब उसी का है। कौन है जो उसकी अनुमति के बिना उसकी सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो उनके पीछे है। और वे उसकी जानकारी में से किसी चीज़ को नहीं घेर सकते, सिवाय उसके जितना वह चाहे। उसकी कुर्सी आसमानों और ज़मीन को घेरे हुए है। और उसे उनकी हिफाज़त थकाती नहीं। और वही सर्वोच्च, महान है।”
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🌟 आयतुल कुर्सी का महत्व:
1. शैतान से हिफाजत: हदीस के अनुसार, रात को सोने से पहले इसे पढ़ने वाला व्यक्ति सारी रात अल्लाह की हिफाजत में रहता है।
2. हर तरह के डर से राहत: डर, बुरे ख़्वाब, जिन्न, नजर बद से सुरक्षा
3. रिज़्क और बरकत में इज़ाफा: इसे रोज़ाना पढ़ने से घर में बरकत आती है
4. कब्र के अज़ाब से हिफाजत: क़यामत के दिन आयतुल कुर्सी एक रौशनी की तरह सामने आएगी
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🕰️ कब पढ़नी चाहिए?
फज्र और मग्रिब के बाद
हर नमाज़ के बाद
घर से निकलते समय
किसी डर, डरावने सपने या मन की बेचैनी में
किसी बीमार को दुआ के तौर पर
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📿 पढ़ने का सही तरीका:
वुज़ू की हालत में पढ़ें
तसल्ली से, ध्यान से पढ़ें
बच्चों को भी याद कराएं
सर्द रातों में बिस्तर पर लेटते हुए इसे पढ़ना बहुत अफज़ल माना गया है
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📚 आयतुल कुर्सी – एक ज़िन्दगी की हिफाजत
पैगंबर मुहम्मद (स.अ.) ने फ़रमाया:
> “जो शख्स हर नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ता है, उसके और जन्नत के बीच सिर्फ मौत है।”
(हदीस – अन-निसाई)
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📲 निष्कर्ष:
“आयतुल कुर्सी” सिर्फ एक आयत नहीं, बल्कि अल्लाह की ताकत, रहमत और सुरक्षा का सबसे बड़ा बयान है। हर मुसलमान को इसे पढ़ना, समझना और अपनी ज़िन्दगी में शामिल करना चाहिए।
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