“Alhamdu Sharif: जानिए सूरह फातिहा की आयतों का हिंदी अनुवाद और महत्व”
इस्लाम धर्म में “अल्हम्दु शरीफ” के नाम से प्रसिद्ध सूरत-उल-फातिहा क़ुरआन की पहली सूरत है, जो हर नमाज़ की रूह मानी जाती है। इसे रोजाना पांचों वक्त की नमाज़ में पढ़ा जाता है और यह मुसलमानों की सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली सूरतों में से एक है। बहुत से लोग इसे “अल्हम्द शरीफ” के नाम से याद रखते हैं, क्योंकि इसकी पहली आयत “अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल ‘आलमीन” से शुरू होती है।
सूरत-उल-फातिहा में कुल 7 आयतें होती हैं, जो अल्लाह की रहमत, रहनुमाई और इंसानों के लिए दुआ के रूप में पेश की जाती हैं। इसका हर लफ्ज़ इंसान को सच्चाई, नेकी और सीधे रास्ते पर चलने की दुआ सिखाता है। नीचे इसका हिंदी अनुवाद दिया गया है:
- “अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल ‘आलमीन” — सब तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं जो सारे जहानों का पालनहार है।
- “अर-रह्मानिर-रहीम” — जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।
- “मालिकी यौमिद्दीन” — जो बदले के दिन का मालिक है।
- “इय्याका न’अबुदु व इय्याका नस्त’ईन” — हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं।
- “इहदिनास्सिरातल मुस्तक़ीम” — हमें सीधा रास्ता दिखा।
- “सिरातल्लज़ीना अन’अमता अलेहिम” — उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया।
- “ग़ैरिल मग़दूबे अलेहिम वलद्दा’ल्लीन” — जिन पर तेरा ग़ज़ब नहीं हुआ और जो गुमराह नहीं हुए।
आमीन।
इस सूरत को पढ़ने से आत्मा को सुकून मिलता है और यह इंसान को अल्लाह से जुड़ने का ज़रिया बनती है। यही वजह है कि हर मुसलमान की ज़िंदगी की शुरुआत अल्हम्दु शरीफ से होती है और उसकी हर नमाज़ में यह शामिल होती है।**