America Hits India with 25–50% Tariffs – Modi Government on Alert
अमेरिका द्वारा भारत पर 25 से 50 प्रतिशत तक के भारी टैरिफ लगाए जाने की घोषणा ने भारतीय आर्थिक और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों पर गहरा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है, जहां अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि ये कदम घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और ‘फेयर ट्रेड’ सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, वहीं भारत ने इसे एकतरफा और वैश्विक व्यापार नियमों के खिलाफ बताया है, टैरिफ का असर भारतीय निर्यात पर खासकर स्टील, एल्युमिनियम, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी सर्विसेज जैसे सेक्टर्स में ज्यादा देखने को मिलेगा, जहां पहले से ही अमेरिका भारत का एक बड़ा बाजार है, विशेषज्ञों के मुताबिक इन टैरिफ्स से भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ेगी और अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता घट सकती है, जिससे न केवल एक्सपोर्ट वॉल्यूम कम होगा बल्कि विदेशी निवेश पर भी असर पड़ेगा, भारत सरकार इस फैसले का मुकाबला करने के लिए वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) का दरवाजा खटखटा सकती है और साथ ही काउंटर-टैरिफ लगाकर अमेरिका के खिलाफ रणनीतिक कदम भी उठा सकती है, फिलहाल विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय दोनों इस मामले पर मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि किसी भी तरह से भारतीय हितों को नुकसान से बचाया जा सके, राजनीतिक दृष्टि से भी यह मुद्दा बड़ा बनता जा रहा है, विपक्षी दल सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि विदेश नीति में विफलता और व्यापारिक रिश्तों में कमजोरी के चलते यह स्थिति बनी, वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि यह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य का हिस्सा है और भारत अपनी आर्थिक ताकत के बल पर इस चुनौती का सामना करेगा, गौरतलब है कि अमेरिका ने हाल के महीनों में चीन, मेक्सिको और यूरोपीय संघ पर भी भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति बनने लगी है, ऐसे में भारत के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह अपने निर्यात बाज़ारों में विविधता लाए और वैकल्पिक साझेदार देशों के साथ व्यापारिक समझौते करे, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर ये टैरिफ लंबे समय