Archita Pukham Sex Video वायरल विवाद: डीपफेक बदला, 1.4M फॉलोअर्स का झांसा, पुलिस एक्शन और डिजिटल सेफ्टी अलर्ट!
इंटरनेट पर “archita pukham sex video” कीवर्ड धड़ाधड़ सर्च हो रहा है, लेकिन जो कहानी सामने आ रही है वह सिर्फ एक कथित लीक्ड वीडियो की नहीं बल्कि डिजिटल पहचान की सबसे खतरनाक धोखाधड़ी में से एक है—‘Babydoll Archi’ नाम से वायरल हुआ यह प्रोफाइल अब डीपफेक रिवेंज पोर्न केस में बदल चुका है। जांच में सामने आया कि असम के एक मैकेनिकल इंजीनियर (प्रतीम/प्रतीम बोरा नाम प्रचलित) ने अपनी पूर्व परिचित/पूर्व प्रेमिका की एक वास्तविक फोटो का इस्तेमाल कर एआई टूल्स (Midjourney, Desire AI, OpenArt जैसे) से बोल्ड और अश्लील कंटेंट गढ़ा, इन्हीं सिंथेटिक इमेजेज/क्लिप्स को “ओरिजिनल” बताकर सोशल मीडिया व सब्सक्रिप्शन लिंक से कमाई की और अकाउंट ने 1.0M से ज़्यादा, बाद में 1.4M फॉलोअर्स तक का आंकड़ा छू लिया। पुलिस शिकायत के बाद साइबर क्राइम सेल सक्रिय हुई, आरोपी को हिरासत में लिया गया और अब डिजिटल फॉरेंसिक यह ट्रैक कर रहा है कि कितनी नकली मीडिया फाइलें बनाई गईं और किन प्लेटफॉर्म्स पर बेची या शेयर की गईं। यह खुलासा तब और गर्म हुआ जब कथित अर्चिता फुकन के इंस्टाग्राम हैंडल @babydoll_archi ने अचानक अपना नाम बदलकर Amira Ishtara कर दिया—बताया जा रहा है कि यह कदम उस समय उठा जब अमेरिकी एडल्ट स्टार Kendra Lust के साथ एक मॉर्फ्ड/मिलती-जुलती तस्वीर वायरल हुई और लोगों ने पहचान पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। इस केस ने भारत में एआई-जनित पोर्न, डीपफेक बदला, साइबर उत्पीड़न और ऑनलाइन प्राइवेसी पर गहरी बहस छेड़ दी है; विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सीमित सेक्स एजुकेशन, सोशल टेबलूज़ और आसान एआई टूल्स के मेल ने फेक एडल्ट कंटेंट की इंडस्ट्री को खतरनाक मोड़ दे दिया है—अब कड़े कानून, तेज शिकायत निस्तारण और डिजिटल साक्षरता की ज़रूरत पहले से कहीं ज्यादा है। गूगल पर “archita pukham sex video”, “Babydoll Archi original”, “AI nude leak” जैसे सर्चेस ट्रेंड कर रहे हैं, पर सच यह है कि अब तक किसी भी विश्वसनीय स्रोत ने किसी “ओरिजिनल” प्राइवेट फुटेज की पुष्टि नहीं की; जो लिंक घूम रहे हैं वे अधिकतर स्कैम, मैलवेयर या अनधिकृत डीपफेक फाइलें हो सकती हैं—क्लिक करने से पहले सावधान रहें, शिकायत होने पर त्वरित रूप से साइबर हेल्पलाइन और स्थानीय पुलिस से संपर्क करें, तथा आईटी एक्ट की धारा 66E, 67A जैसी प्रावधानों के तहत कार्रवाई संभव है। यह मामला सिर्फ एक वायरल चेहरे की कहानी नहीं, बल्कि हर इंटरनेट यूज़र के लिए चेतावनी है: एक फोटो से बनी नकली पहचान लाखों को गुमराह कर सकती है, प्रतिष्ठा बर्बाद कर सकती है और अपराधियों को पैसा दिला सकती है—डिजिटल युग में आंखों पर भरोसा मत कीजिए, सोर्स पर कीजिए!