Assam Govt Orders: Private Hospitals Can’t Hold Dead Bodies Over Bills Anymore
गुवाहाटी – असम सरकार ने गुरुवार को एक मानवीय और बेहद अहम फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में तय किया गया कि राज्य के किसी भी निजी अस्पताल को अब मरीज के शव को दो घंटे से अधिक समय तक नहीं रोका जाएगा, भले ही परिवार द्वारा इलाज का बिल चुकाया गया हो या नहीं।
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🏥 अस्पतालों की मनमानी पर सख्ती
यह निर्णय उन मामलों की पृष्ठभूमि में लिया गया है जहां अस्पताल मरीज की मौत के बाद बिल की पूरी रकम वसूलने तक शव पर कब्जा बनाए रखते थे।
सरकार ने माना कि यह प्रथा शोक संतप्त परिवारों के लिए बेहद अमानवीय और मानसिक रूप से कष्टकारी है।
> “मृत शरीर को रोके रखना अब गैरकानूनी माना जाएगा। सभी अस्पतालों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।” – असम सरकार
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⏱ कब और कैसे लागू होगा ये आदेश?
यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है
सभी निजी अस्पतालों को निर्देश भेजे जा चुके हैं
आदेश का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है
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🔍 फैसले का उद्देश्य
सरकार के अनुसार, इस फैसले के पीछे मुख्य उद्देश्य है:
1. अस्पतालों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन पर रोक
2. गरीब या कमजोर परिवारों को राहत
3. संवेदनशील स्थितियों में मर्यादित विदाई सुनिश्चित करना
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👨⚕️ हेल्थकेयर में सुधार की दिशा में कदम
इस निर्णय को असम में स्वास्थ्य सेवा में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
राज्य सरकार पहले ही कई सरकारी अस्पतालों को उन्नत तकनीक से लैस कर चुकी है और अब निजी क्षेत्र को भी मानवीय अनुशासन में लाने की कोशिश कर रही है।
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📢 सोशल मीडिया पर तारीफ
सरकारी फैसले के बाद सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने प्रतिक्रिया दी:
“Very humane and needed decision. Kudos Assam Govt!”
“Finally someone cares about dignity after death.”
“Let this be a model for other states.”
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📢 निष्कर्ष:
असम सरकार का यह फैसला न सिर्फ सामाजिक रूप से सराहनीय है, बल्कि मेडिकल एथिक्स और इंसानियत की दृष्टि से भी एक मिसाल बन सकता
है।
अब देखना होगा कि क्या देश के अन्य राज्य भी इस फैसले से सीख लेते हैं।