आयतुल कुर्सी की फ़ज़ीलत – जानिए इसे पढ़ने के फायदे, अनुवाद और सही समय
प्रकाशित: 19 जुलाई 2025
इस्लामी जानकारी डेस्क | www.aapkinews.com
आयतुल कुर्सी (Surah Al‑Baqarah, ayah 255) को कुरान की सबसे बड़ी आयत माना जाता है। इसे “सिंहासन की आयत” कहा जाता है, क्योंकि यह अल्लाह की सर्वशक्तिमत्ता, ज्ञान और सुरक्षा की पुष्टि करती है। इसकी फज़ीलत और फायदे को हदीसों में विस्तार से बताया गया है।
अरबी पाठ और हिंदी अनुवाद
अरबी मूल:
اللَّهُ لاَ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ … الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ
हिंदी में तर्जुमा: “अल्लाह—उसके सिवा कोई इबादत के काबिल नहीं; वही स्वत: जीवित और सम्पूर्ण पालनहार है। न उसे ऊँघ आती है न नींद; जो कुछ आसमानों और धरती में है—सब उसी का है। कौन है जो उसकी अनुमति के बिना उसकी सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो उनके सामने है और जो उनके पीछे। और वे उसके ज्ञान का कुछ भी नहीं पकड़ सकते सिवाय उस हिस्से के जिसका वह इरादा करे। उसकी कुर्सी (सिंहासन) आसमानों और धरती को घेरती है, और उन्हें संभालना उसे ज़रा भी मुश्किल नहीं। वह बहुत ऊँचा और महान है।”
आयतुल कुर्सी की प्रमुख फ़ज़ीलतें
1. कुरान की सर्वोच्च आयत
हदीस में है कि यह कुरान की सबसे बड़ी आयत है ।
2. हर नमाज़ के बाद पढ़ने से जन्नत तक पहुंच
हज़रत अबू उमामा रज़ि. ने बताया कि ऐसी आदत रखने वाला शख़्स जब तक जिंदा है जन्नत के रास्ते पर रहता है, मौत ही उसे रोक सकती है ।
3. रात-दिन सुरक्षा कवच
रात को सोने से पहले पढ़ने पर अल्लाह का फरिश्ता उसकी रक्षा करता है; दिन में घर से निकलने से 70,000 फरिश्ते उसे घेरते हैं ।
4. शैतान भगाने की आयत
इसे पढ़ते ही शैतान घर से भाग जाता है, इसे आवाज़ में न पढ़ा जाए तो भी असर रहता है ।
5. बुद्घि, स्मृति और ज्ञान का वर्दान
आयतुल कुर्सी पढ़ने से हिफ़ाज़त, अच्छी याददाश्त और बुद्घिक उन्नति का भी असर होता है ।
सही समय कब पढ़ें?
हर फर्ज़ नमाज़ के बाद जरूर पढ़ें ।
सुबह (फ़जर के बाद) और शाम (असर/मगरिब के बाद) रोजाना पढ़ना लाभकारी है ।
सोने से पहले– पूरे परिवार की रक्षा के लिए ।
घर से बाहर निकलते समय– सफ़र की सुरक्षा हेतु ।