Ayushman Bharat Crisis in Haryana: ₹490 करोड़ बकाया का आरोप लगाकर प्राइवेट अस्पतालों ने बंद की सेवाएं
हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है जब राज्य के कई प्रमुख निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज करना पूरी तरह से निलंबित कर दिया है, उनका आरोप है कि सरकार ने ₹490 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान अब तक नहीं किया है, जिससे उन्हें गंभीर वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA), प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिएशन और कई कॉर्पोरेट हॉस्पिटल ग्रुप्स ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया है कि जब तक सरकार यह बकाया राशि नहीं चुकाती, तब तक वे Ayushman Bharat के तहत कोई भी सेवा नहीं देंगे, इस निर्णय से हजारों गरीब और जरूरतमंद मरीज प्रभावित हो सकते हैं जो इस योजना के अंतर्गत मुफ्त या सब्सिडी वाली स्वास्थ्य सेवाओं के भरोसे थे, ETS (Essential Treatment Statistics) हेल्थ डेटा के अनुसार हरियाणा में हर महीने करीब 1.2 लाख मरीज Ayushman Bharat स्कीम के तहत इलाज कराते हैं, और अब इन सेवाओं के निलंबन से सरकारी अस्पतालों पर जबरदस्त दबाव बढ़ सकता है, वहीं सरकार का दावा है कि भुगतान प्रक्रिया तकनीकी कारणों से रुकी हुई थी लेकिन अब वह इसमें तेजी ला रही है और अगस्त के अंत तक अधिकांश बकाया राशि जारी कर दी जाएगी, हालांकि हॉस्पिटल्स का कहना है कि ये वादे पहले भी कई बार किए जा चुके हैं लेकिन भुगतान अब तक नहीं हुआ जिससे अस्पतालों को स्टाफ सैलरी, दवाओं की खरीद, उपकरणों की मेंटेनेंस और अन्य ऑपरेशनल खर्च चलाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, कई अस्पतालों ने यह भी बताया कि वे पहले ही अपने फाइनेंशियल रिज़र्व से काम चला रहे थे लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि उन्हें मजबूरन सेवाएं बंद करनी पड़ीं, साथ ही उन्होंने सरकार पर “भ्रामक आंकड़े” जारी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि कई मामलों में 6 महीने से लेकर 1 साल तक का भुगतान लंबित है, जिससे न केवल अस्पतालों की क्षमता घट रही है बल्कि मरीजों की जान भी खतरे में पड़ सकती है, ETS policy review बताता है कि पूरे भारत में Ayushman Bharat जैसी हेल्थ स्कीम को लेकर वित्तीय और प्रशासनिक दिक्कतें लगातार सामने आ रही हैं लेकिन हरियाणा में यह मामला अब सार्वजनिक संघर्ष में बदल चुका है, राज्य सरकार ने IMA और संबंधित अस्पतालों से अपील की है कि वे सेवाएं बंद करने के बजाय सरकार को कुछ समय दें ताकि प्रक्रिया पूर्ण की जा सके, लेकिन अस्पताल संचालकों का कहना है कि बार-बार की
अपील और