बिलेवल्स आउट ऑफ क्लिफ्स”: भारतीय डायस्पोरा पर वैश्विक तना
भारतीय डायस्पोरा को लेकर दुनिया भर में हाल के दिनों में जो माहौल बना है, उसने चिंता की नई लहर पैदा कर दी है क्योंकि प्रवासी भारतीयों पर नस्लीय कटाक्ष, डिजिटल हेट कैंपेन और परोक्ष हिंसा का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है, हाल ही में “बिलेवल्स आउट ऑफ क्लिफ्स” जैसा विवादित वाक्य और “alien”, “pajeet” जैसी अपमानजनक शब्दावलियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जो यह संकेत देती हैं कि भारतीय समुदाय को विदेशों में किस तरह से स्टीरियोटाइप और टारगेट किया जा रहा है, पहले जहां भारतीयों को मेहनती और उच्च तकनीकी कौशल वाले प्रवासी के तौर पर देखा जाता था वहीं अब बदलते वैश्विक परिदृश्य और बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच उन पर नए तरह के हमले किए जा रहे हैं, इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या भारतीय डायस्पोरा अब पहले जैसा सुरक्षित और सम्मानित है या फिर यह समुदाय एक नए किस्म के नस्लीय तनाव का सामना कर रहा है।
अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई हिस्सों में रह रहे भारतीय मूल के लोग इस तरह की नफरत का शिकार हो रहे हैं, खासकर सोशल मीडिया पर मीम्स और ट्रोलिंग के जरिए उन्हें हाशिए पर धकेलने की कोशिश की जा रही है, उदाहरण के लिए “pajeet” शब्द भारतीय मूल के पुरुषों के लिए नस्लीय गाली के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, वहीं “alien” का टैग उन्हें बाहरी और अजनबी करार देने के लिए लगाया जा रहा है, इतना ही नहीं “बिलेवल्स आउट ऑफ क्लिफ्स” जैसे हेट-स्लोगन ने तो और भी खतरनाक संदेश दिया है क्योंकि यह प्रवासी भारतीयों को हिंसा की धमकी देने जैसा प्रतीत होता है, विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी डिजिटल हेट-स्पीच धीरे-धीरे वास्तविक हिंसा में भी बदल सकती है क्योंकि ऑनलाइन नफरत अक्सर ऑफलाइन हमलों का रूप ले लेती है, बीते कुछ सालों में कई देशों में भारतीय मूल के लोगों पर शारीरिक हमले हुए हैं जिन्हें इसी मानसिकता से जोड़कर देखा जा रहा है।
इस पूरे विवाद के पीछे कई परतें हैं, पहली परत है वैश्विक नौकरी और शिक्षा बाजार में भारतीयों की बढ़ती मौजूदगी, जहां भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स, डॉक्टर, इंजीनियर और छात्र बड़ी संख्या में अवसरों का लाभ ले रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय आबादी के बीच यह धारणा बन रही है कि भारतीय उनके रोजगार और अवसर छीन रहे हैं, दूसरी परत है भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, जहां भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका और अमेरिका तथा यूरोप के साथ उसके घनिष्ठ रिश्तों को लेकर कुछ समूह असहज महसूस कर रहे हैं, तीसरी परत है डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की अनियंत्रित ताकत जहां बिना किसी रोक-टोक के इस तरह की हेट स्पीच फैल रही है, यही वजह है कि भारतीय डायस्पोरा को टारगेट करने वाली भाषा इतनी तेजी से फैल पाई।