#BoycottNike: भारतीय सोशल मीडिया पर क्यों Nike के खिलाफ उठा गुस्सा? जानिए पूरी कहानी
2025 में भारत की डिजिटल दुनिया एक बार फिर एक जबरदस्त ऑनलाइन बवाल का गवाह बनी, जब ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अचानक #BoycottNike ट्रेंड करने लगा। लोग Nike ब्रांड के खिलाफ आक्रोश जाहिर करने लगे और इस हैशटैग ने कुछ ही घंटों में देशभर में हजारों पोस्ट्स और कमेंट्स के साथ ट्रेंडिंग लिस्ट में जगह बना ली। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि लोगों को एक ग्लोबल ब्रांड को बायकॉट करने की मुहिम छेड़नी पड़ी?
इस विवाद की शुरुआत Nike की एक नई प्रमोशनल कैंपेन से हुई, जिसमें एक बांग्लादेशी मूल की इंफ्लुएंसर को ब्रांड एम्बेसडर के रूप में पेश किया गया। सोशल मीडिया पर यूज़र्स का आरोप है कि यह इंफ्लुएंसर अतीत में भारत विरोधी और धार्मिक रूप से संवेदनशील टिप्पणियाँ कर चुकी है।
जैसे ही यह पोस्ट वायरल हुई, लोगों ने Nike पर सवाल उठाने शुरू कर दिए:
क्या Nike भारत के बाजार को हल्के में ले रहा है?
क्या यह जानबूझकर विवादास्पद चेहरों को प्रमोट कर रहा है?
क्या यह राष्ट्र की भावनाओं की अनदेखी है?
इस सबके बीच कई भारतीय यूज़र्स ने Nike को टैग करते हुए अपने पुराने जूतों और सामान को फेंकने के वीडियो तक अपलोड कर दिए। कुछ शॉपिंग साइट्स पर भी Nike के उत्पादों की रेटिंग में गिरावट देखी गई।
Nike की चुप्पी और गुस्सा बढ़ाता माहौल
विवाद बढ़ने के बावजूद Nike की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह चुप्पी सोशल मीडिया यूज़र्स के गुस्से को और भड़का रही है। कुछ यूज़र्स ने Nike की जगह देसी ब्रांड्स जैसे Campus, RedTape, और Bata को सपोर्ट करने की अपील की है।
सोशल मीडिया की ताक़त फिर साबित
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि भारत में सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा दबाव समूह बन चुका है। जब लोग एकजुट होते हैं, तो वह किसी भी ब्रांड की छवि को प्रभावित कर सकते हैं – चाहे वो कितनी भी बड़ी कंपनी क्यों न हो।
Nike को भारत जैसे विशाल और भावनात्मक रूप से जुड़े बाजार में कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा। ब्रांड्स को अब यह समझना होगा कि केवल क्वालिटी ही नहीं, बल्कि विचारों और मूल्यों की भी अहमियत होती है।