BRICS 2025 Summit: क्या भारत फिर से बनेगा वैश्विक विकास की धुरी?

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BRICS 2025 Summit: क्या भारत फिर से बनेगा वैश्विक विकास की धुरी?

 

2025 में होने वाला BRICS सम्मेलन एक बार फिर दुनिया की नजरों में आ गया है। ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका जैसे प्रमुख देशों का यह समूह अब केवल आर्थिक साझेदारी का मंच नहीं रह गया है, बल्कि यह भू-राजनीतिक रणनीति और वैश्विक नेतृत्व का केंद्र बनता जा रहा है। इस बार सम्मेलन की मेज़बानी ब्राज़ील कर रहा है और चर्चा में हैं कई बड़े एजेंडे – जिनमें डिजिटल करेंसी, रक्षा सहयोग, और नए सदस्य देशों को शामिल करने की संभावनाएं शामिल हैं।

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क्या है BRICS का महत्व?

 

BRICS देशों की संयुक्त जनसंख्या विश्व की 40% से अधिक है और यह समूह वैश्विक GDP का 25% से ज़्यादा योगदान देता है। ऐसे में इन देशों के फैसले पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और राजनीति को प्रभावित करते हैं।

 

भारत की भूमिका 2025 में

 

भारत इस बार डिजिटल इंडिया मॉडल, लोकल टू ग्लोबल इनिशिएटिव और ग्रीन एनर्जी कोलैबरेशन जैसे मुद्दों को प्रमुखता से रखने जा रहा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत वैश्विक साउथ के लिए एक आवाज़ बनने की ओर अग्रसर है और इस बार BRICS 2025 में भी वह उसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

 

कौन-कौन से मुद्दे रहेंगे फोकस में?

 

BRICS क्रिप्टो करेंसी और ब्लॉकचेन आधारित भुगतान प्रणाली पर चर्चा

 

वैश्विक दक्षिण देशों को आर्थिक राहत देने के लिए BRICS बैंक की नई योजनाएं

 

चीन और रूस की भूमिका, और पश्चिमी देशों की चिंता

 

नए सदस्य देशों जैसे अर्जेंटीना, UAE, मिस्र, ईरान की सदस्यता पर विचार

 

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए संयुक्त रणनीति

 

 

BRICS vs G7: क्या यह नया शक्ति संतुलन है?

 

G7 देशों (जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस) के मुकाबले BRICS एक वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था का संकेत दे रहा है। अब यह सिर्फ एक आर्थिक गठबंधन नहीं, बल्कि वैश्विक पावर बैलेंस में बदलाव का संकेत बन गया है। भारत के विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि अगर BRICS ने मिलकर अपनी करेंसी और ट्रेड पॉलिसी पर काम कर लिया, तो यह डॉलर वर्चस्व को भी चुनौती दे सकता है।

 

 

 

BRICS 2025 केवल एक और डिप्लोमैटिक समिट नहीं है — यह आने वाले दशकों की वैश्विक राजनीति की दिशा तय कर सकता है। भारत की सक्रिय भूमिका, चीन-रूस की रणनीति और नए सदस्य देशों की भागीदारी इसे और भी अहम बनाती है।

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