BRICS Countries अब सिर्फ इकोनॉमिक ग्रुप नहीं, बल्कि वर्ल्ड पावर चेंजर बन चुके हैं

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BRICS Countries अब सिर्फ इकोनॉमिक ग्रुप नहीं, बल्कि वर्ल्ड पावर चेंजर बन चुके हैं

2025 में ये ग्रुप कितना मजबूत हो चुका है, जानिए पूरी रिपोर्ट

 

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BRICS यानी Brazil, Russia, India, China और South Africa – ये पांच देश अब सिर्फ एक ग्रुप भर नहीं रह गए हैं बल्कि 2025 में ये विश्व राजनीति, आर्थिक संतुलन और ग्लोबल पावर स्ट्रक्चर को बदलने की ताकत रखते हैं, और अब जब इस ग्रुप में नए देशों को भी जोड़ा जा रहा है जैसे कि UAE, Egypt, Iran, और Ethiopia – तो ये साफ हो गया है कि BRICS अब पश्चिमी देशों के बनाए हुए सिस्टम का एक मजबूत विकल्प बनता जा रहा है, BRICS का गठन साल 2009 में हुआ था लेकिन 2023-2025 के बीच इसने जो गति पकड़ी है, वो इतिहास में पहली बार देखने को मिल रही है, खासकर जब अमेरिका और यूरोपीय देशों की आर्थिक नीति लगातार Developing Nations पर दबाव बनाती रही है, वहीं BRICS एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है जहाँ Global South के देश अपनी आवाज़ को मजबूती से रख पा रहे हैं, भारत की भूमिका इसमें सबसे अहम मानी जा रही है क्योंकि भारत न सिर्फ एक लोकतांत्रिक ताक़त है बल्कि टेक्नोलॉजी, स्पेस, हेल्थ, और डिजिटल पेमेंट्स जैसे क्षेत्रों में भी वह खुद को फ्रंट रनर के रूप में स्थापित कर चुका है, रूस इस वक्त यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच BRICS के ज़रिए एक नया व्यापार मार्ग तलाश रहा है, वहीं चीन अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को BRICS के माध्यम से और तेज़ करने की कोशिश कर रहा है, ब्राज़ील और साउथ अफ्रीका इस समय एग्रीकल्चर और मिनरल सेक्टर में नई साझेदारियों के लिए इस ग्रुप को इस्तेमाल कर रहे हैं, सबसे बड़ी बात ये है कि BRICS अब अपनी खुद की करेंसी बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है ताकि डॉलर के वर्चस्व को कम किया जा सके, साल 2025 के BRICS समिट की मेज़बानी रूस ने की और इसमें कुल 11 देशों ने हिस्सा लिया, यह पहली बार था जब इस समूह ने Global Trade, Cybersecurity, Climate Policy और Global South की Representation जैसे मुद्दों पर एकजुट होकर बयान दिया, भारत ने इस मीटिंग में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक नया मॉडल प्रस्तुत किया जिसे कई देशों ने सराहा, वहीं South Africa ने स्वास्थ्य सेवाओं और वैक्सीन उत्पादन में BRICS की सामूहिक भूमिका को बढ़ाने की अपील की, इतना ही नहीं BRICS बैंक यानी New Development Bank अब कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड कर रहा है जो पहले सिर्फ वर्ल्ड बैंक और IMF के भरोसे होते थे, इससे विकासशील देशों के लिए एक वैकल्पिक रास्ता खुल रहा है, खास बात ये है कि BRICS में अब एशिया, अफ्रीका, और मिडिल ईस्ट की मजबूत भागीदारी हो गई है जिससे ये सिर्फ एक रीजनल ब्लॉक न रहकर ग्लोबल अलायंस बनता जा रहा है, इस बीच अमेरिका और यूरोप इसे एक रणनीतिक चुनौती की तरह देख रहे हैं और NATO से लेकर G7 तक के मंचों पर BRICS की बढ़ती

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