सेफोलॉजिस्ट संजय कुमार पर मामला दर्ज — गलत चुनावी डेटा साझा करने का आरो
लोकसभा चुनावी हलचल के बीच बड़ा विवाद सामने आया है, जहां मशहूर सेफोलॉजिस्ट संजय कुमार के खिलाफ गलत चुनावी डेटा साझा करने को लेकर मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर ऐसे चुनावी आंकड़े पोस्ट किए जो आधिकारिक तौर पर जारी किए गए डेटा से मेल नहीं खाते थे। इस पर निर्वाचन आयोग की सख्ती के बाद स्थानीय पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। मामला दर्ज होने के बाद राजनीतिक हलकों और मीडिया में हलचल तेज हो गई है क्योंकि संजय कुमार लंबे समय से चुनावी विश्लेषण और सर्वे के क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम माने जाते रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग की ओर से बार-बार यह निर्देश दिए गए थे कि कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना आधिकारिक पुष्टि के आंकड़े सार्वजनिक न करे, ताकि चुनावी माहौल में भ्रम और अफवाहें न फैलें। लेकिन संजय कुमार पर यह आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में चुनावी नतीजों का आकलन साझा किया जिसे कई चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने भी आगे बढ़ाया। इस पर निर्वाचन आयोग ने इसे “भ्रामक और गलत सूचना फैलाने वाला” मानते हुए कड़ी आपत्ति जताई और पुलिस कार्रवाई की सिफारिश की।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला चुनावी पारदर्शिता और मीडिया एथिक्स से भी जुड़ा हुआ है। कई विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है, जबकि सत्तापक्ष से जुड़े लोग इसे “फेक डेटा के खिलाफ जरूरी कदम” करार दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर जमकर बहस छिड़ गई है।
फिलहाल पुलिस ने IPC की संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज कर ली है और आगे की जांच शुरू कर दी है। उधर, संजय कुमार ने अपनी सफाई में कहा है कि उनका मकसद गलत जानकारी फैलाना नहीं था, बल्कि यह एक प्रीडिक्टिव एनालिसिस (predictive analysis) था जिसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
अब देखना होगा कि यह मामला आगे किस दिशा में जाता है क्योंकि इससे न केवल चुनावी माहौल प्रभावित हो सकता है बल्कि चुनावी विश्लेषण के पेशे की साख पर भी गहरा असर पड़
सकता है।