Advertisements
India के साथ चीन का सीमा विवाद बार बार आख़िर ड्रैगन क्यों करता है घुसपैठ
साल 2020 के बाद बीते 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के बीच दूसरी बार झड़प हुई है अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे जिसको लेकर भारतीय सेना ने जवाबी कार्यवाही की और चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया।लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि चीन चाहता क्या है चीन बार बार भारत की सीमा में घुसपैठ क्यों करता है,
भारत चीन के साथ 3488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, यह सीमा जम्मू कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम और अरुणांचल प्रदेश से होकर गुज़रती है ये सरहद तीन शाखाओं में बँटी हुई है पश्चिमी शाखा यानी जम्मू कश्मीर, मध्य शाखा यानी हिमांचल प्रदेश और उत्तराखण्ड और पूर्वी शाखाएँ सिक्किम और अरुणांचल प्रदेश इन दोनों ही शाखाओं में चीन मौजूदा LAC को मानने से इनकार करता है और बार बार घुसपैठ की कोशिश भी करता है भारत पश्चिमी शाखाओं में अक्साई चीन को अपना इलाका मानता है क्योंकि 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पूरे इलाके पर कब्ज़ा कर लिया था वहीं पूर्वी शाखा में चीन अरुणांचल प्रदेश पर अपना दावा करता है चीन कहता है ये दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है चीन तिब्बत और अरुणांचल प्रदेश के बीच की मैक मोहन रेखा को भी नहीं मानता है ऐसे में आपको मैकमोहन रेखा के बारे में बताते है
ये भारत और तिब्बत के बीच सीमा को कहा जाता है जिसका निर्धारण साल1913-14 में शिमला सम्मेलन में हुआ था। इस बातचीत के मुख्य वार्ताकार थे सर हेंडरी मैकमोहन इसी वजह से इस रेखा को मैकमोहन रेखा के नाम से जाना जाता है। चीन का कहना है कि 1914 में जब ब्रिटिश भारत और तिब्बत के नेताओं ने जब ये समझौता किया था तब वह उस बातचीत का हिस्सा नहीं था। उसका कहना है कि तिब्बत चीन का अंग रहा है इसलिए वो खुद कोई फैसला नहीं ले सकता दरअसल 1914 में तिब्बत एक स्वतंत्र देश था लेकिन कमज़ोर मुल्क था। ऐसे में चीन ने कभी तिब्बत को कभी स्वतंत्र मुल्क नहीं माना 1950 में चीन ने तिब्बत की कमज़ोरी का फायदा उठाते हुए उसे पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया । कुल मिलाकर चीन अरुणांचल प्रदेश में मैकमोहन रेखा को नहीं मानता और अक्साई चीन पर भारत के दावे को भी खारिज करता है। हालांकि गौर करें तो चीन की सीमा विवाद केवल भारत से ही नहीं , चीन की सीमा जिस किसी भी देश के साथ लगती है उसके साथ चीन का विवाद है और इसका सबसे बड़ा कारण है चीन की ‘विस्तारवादी नीति’
Advertisements