मुंबई हमले का साजिशकर्ता तहव्वुर राणा फिर कोर्ट में, NIA ने रिमांड बढ़ाने की मांग की
नई दिल्ली, 4 जून 2025 — 26/11 मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं में शामिल और अमेरिका से प्रत्यर्पित किए गए तहव्वुर हुसैन राणा को आज एक बार फिर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसकी रिमांड बढ़ाने की मांग करते हुए अदालत को बताया कि उससे पूछताछ की प्रक्रिया अभी अधूरी है और मामले में कई अहम सुराग मिलने बाकी हैं।
तहव्वुर राणा फिलहाल तिहाड़ जेल की उच्च सुरक्षा वाली सेल में बंद है, जहां उसे कैदी नंबर 1784 के रूप में रखा गया है। उसके खिलाफ भारत सरकार ने वर्षों पहले प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था। जनवरी 2025 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण पर अंतिम मुहर लगाई, जिसके बाद उसे भारत लाया गया।
क्या है तहव्वुर राणा का रिश्ता 26/11 से?
तहव्वुर राणा पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है, जिसे 2009 में अमेरिका के शिकागो में एफबीआई ने गिरफ्तार किया था। वह 2008 के मुंबई हमले में अहम भूमिका निभाने वाले डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी रहा है। हेडली पहले ही यह स्वीकार कर चुका है कि मुंबई हमले की योजना में तहव्वुर राणा की मदद ली गई थी।
NIA की दलीलें और जांच की दिशा
NIA का कहना है कि तहव्वुर राणा की जांच से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के नेटवर्क, हेडली के संपर्क और भारत में अन्य स्लीपर सेल्स की जानकारी सामने आ सकती है। एजेंसी ने यह भी बताया कि वह राणा के लैपटॉप, पुराने दस्तावेज और ईमेल के माध्यम से हमले से पहले की रणनीति को खंगाल रही है।
राणा का कोर्ट में रवैया
आज कोर्ट में पेशी के दौरान तहव्वुर राणा शांत नजर आया, लेकिन उसके वकीलों ने तर्क दिया कि वह पहले ही अमेरिका में सजा काट चुका है और भारत में दोबारा मुकदमा चलाना मानवाधिकारों का उल्लंघन है। हालांकि, अदालत ने कहा कि इस स्तर पर जांच एजेंसी को पूरा सहयोग मिलना चाहिए और निर्णय बाद में लिया जाएगा।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
NIA ने अदालत से कम से कम 10 और दिनों की रिमांड मांगी है, ताकि वे राणा को लेकर कश्मीर और दिल्ली में कुछ स्थानों की जांच कर सकें। कोर्ट ने आज की सुनवाई में सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया है, और शाम तक फैसला सुनाया जाएगा कि तहव्वुर राणा की रिमांड बढ़ेगी या वह न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा।
यह मामला सिर्फ एक अपराधी की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि भारत की आतंक के खिलाफ नीति और न्यायिक संकल्प का उदाहरण है — और तहव्वुर राणा की जांच से 26/11 जैसे सबसे बड़े हमले की परतें एक बार फिर खुलने को हैं।
— The Great News