चीन और पाकिस्तान से साइबर ख़तरा बढ़ा; डिजिटल सुरक्षा पर ज़ो
भारत के सामने बढ़ते साइबर हमलों को लेकर अब गंभीर चिंता जताई जा रही है, खासकर चीन और पाकिस्तान से उत्पन्न हो रहे साइबर ख़तरों ने सुरक्षा एजेंसियों और विशेषज्ञों की नींद उड़ा दी है, हाल ही में यूपी इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइंसेज़ में आयोजित एक सेमिनार में साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ने भाग लिया जहाँ यह स्पष्ट किया गया कि भारत को अब अपनी डिजिटल सुरक्षा प्रणाली को और मज़बूत करने की आवश्यकता है क्योंकि साइबर अटैक केवल डाटा चोरी या वेबसाइट हैकिंग तक सीमित नहीं रह गए हैं बल्कि अब यह क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे कि पावर ग्रिड, रेलवे सिस्टम, बैंकिंग नेटवर्क, डिफेंस सर्वर और सरकारी डाटा बेस तक पहुँच रहे हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि चीन और पाकिस्तान से संचालित होने वाले कई हैकिंग ग्रुप्स लगातार भारतीय सिस्टम्स को टारगेट कर रहे हैं, रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि पिछले दो वर्षों में भारत पर हुए बड़े साइबर हमलों में से 60% से अधिक का स्त्रोत या तो चीन रहा है या पाकिस्तान, इन हमलों का उद्देश्य केवल आर्थिक नुकसान पहुँचाना नहीं बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, लोगों की प्राइवेसी और डिजिटल विश्वास को चोट पहुँचाना भी है।
सेमिनार में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत को अब केवल डिफेंसिव साइबर सिक्योरिटी पर ही नहीं बल्कि ऑफेंसिव साइबर कैपेबिलिटी पर भी ध्यान देना होगा ताकि दुश्मन देशों की कोशिशों को पहले ही निष्क्रिय किया जा सके, इसके लिए AI आधारित फोरेंसिक सिस्टम, एथिकल हैकिंग ट्रेनिंग, और रियल-टाइम मॉनिटरिंग सॉल्यूशंस को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई।
यूपी इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइंसेज़ के विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि साइबर अटैक अब केवल बड़ी कंपनियों या सरकारी सर्वर पर ही नहीं बल्कि आम नागरिकों के UPI ट्रांज़ैक्शन, सोशल मीडिया अकाउंट, और ई-मेल सिस्टम तक पहुँच चुके हैं, जहाँ फिशिंग, मालवेयर, और रैनसमवेयर हमले आम होते जा रहे हैं, यही कारण है कि साइबर सुरक्षा को अब “नेशनल सिक्योरिटी थ्रेट” की श्रेणी में देखा जाना चाहिए।
सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, जिनमें साइबर क्राइम कंट्रोल रूम्स की स्थापना, स्कूल-कॉलेज स्तर पर डिजिटल अवेयरनेस प्रोग्राम, और कंपनियों के लिए अनिवा
र्य **डेट