DL News : गंदगी फैलाने से रोकने के लिए देवी देवताओं की तस्वीरें लगाने वालों के खिलाफ याचिका
दिल्ली में सार्वजनिक जगहों पर गंदगी फैलाने को रोकने के लिए।जगह जगह लोग देवी देवताओं की तस्वीरें, उनके पोस्टर या उनके टाइल्स लगाते हैं। ताकि लोग वहाँ पर गंदगी ना फैलाएं। लेकिन एक याचिकाकर्ता गौरांग गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई कि ऐसे लोगों को रोका जाए क्योंकि यह टाइल्स, पोस्टर और तस्वीरें लगाने के बावजूद लोग वहाँ आसपास थूकते हैं, पेशाब करते हैं, गंदगी फैलातें हैं, कचरा फेंकते है। इससे कई लोगों की भावनाएँ आहत होती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने यह कहा है कि आप इसके लिए मंच पर इस मामले को उठाया क्योंकि सरकार शासन और प्रशासन का नीतिगत मामला है। अब आपको बताते हैं कि 10 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने।
इस मामले की सुनवाई पूरी की और जजमेंट रिज़र्व किया था। फैसला रिज़र्व करने के बाद आज कोर्ट ने यह ऑर्डर प्रनाउन्स कर दिया है। यह कहा है कि कोर्ट इस में फिलहाल दखल नहीं देगा क्योंकि यह स्थानीय प्रशासन, सरकार यानी शासन और प्रशासन के स्तर पर लिया जाने वाला नीतिगत फैसला है। लिहाजा अप्रोपिरियेट स्टेज पर जाये और वहाँ जाकर इस मामले को उठाएं।
इसमें गौरांग गुप्ता याचिकाकर्ता। उन्होंने कोर्ट को यह कहा था कि उन्होंने देखा है कि शहर में जहाँ जहाँ लोगों ने ऐसे लोगों को डिस्करेज करने के लिए कि वह इधर उधर कचरा न फैलाएं, सार्वजनिक जगहों पर पेशाब न करें थूके ना या कुछ ऐसा न्यूसेंस क्रिएट ना करें जिससे कि वहाँ पर गंदगी का अंबार हो, बदबू फैले। उन्होंने हाइकोर्ट में याचिका लगाई और याचिका में उन्होंने कहा कि इससे बहुत सारे लोगों की भावनाएँ आहत होती है क्योंकि उन्होंने देखा कि बहुत जगह इस तरह के पोस्टर इस तरह की तस्वीरें इस तरह के टाइल्स लगे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग वहाँ आसपास गंदगी फैलातें हैं। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह फिलहाल इसमें दखल नहीं देगा। यानी मंच। उन्होंने यह भी कहा था कि कोर्ट दिल्ली सरकार, एनडीएमसी, एमसीडी और दिल्ली छावनी परिषद को इस बारे में आदेश और निर्देश जारी करे और ये बताएं कि वो इसके लिए क्या उपाय कर सकते हैं और उन्हें उपाय करने चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि हम इस में फिलहाल कोई आदेश नहीं देंगे क्योंकि ये सारी चीजें स्थानीय प्रशासन के विवेकाधिकार में है। यह उनके क्षेत्राधिकार में है। वो इस मामले में फैसला करें और आप के लिए उचित होगा कि आप यहाँ आने के बजाय उन सारे संस्थानों के पास जाएं। उन सारी जगह जाए यानी दिल्ली सरकार, एमसीडी, एनडीएमसी, दिल्ली छावनी परिषद। इनको जाकर बताएं कि ये किस तरह के कदम उठा सकते हैं। फिलहाल गौरांग गुप्ता का कहना है कि वह इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आएँगे और वहाँ इस मामले को बड़ा कैनवस देंगे।
ताकि देश में जहाँ जहाँ इस तरह का हो रहा है वहाँ पर कोर्ट दखल दे, क्योंकि सरकार और स्थानीय शासन और प्रशासन सब कुछ जानते बूझते हुए भी इसमें कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अब देखते है अगली कोर्ट में मामला आता है। किस दिशा में जाता है?