महंगाई की मार घर का बजट बिगड़ा, जनता बेहाल
अज़हर मलिक
आम आदमी की रसोई पर महंगाई का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। रोजमर्रा की जरूरत की चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे हर घर का बजट चरमरा गया है। खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर गैस सिलेंडर तक, हर चीज के दामों में भारी इजाफा हो चुका है। आमदनी जहां ठहरी हुई है, वहीं खर्चे बेकाबू होते जा रहे हैं।
सब्जियों के दाम पिछले महीनो की तुलना में दोगुने तक बढ़ चुके हैं। टमाटर, आलू, प्याज जैसी जरूरी सब्जियां अब गरीबों की पहुंच से बाहर हो रही हैं। खाने का तेल, आटा, और दाल जैसी बुनियादी वस्तुओं के दाम भी लोगों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। वहीं, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने परिवहन लागत को बढ़ा दिया है, जिसका सीधा असर बाजार में हर चीज की कीमत पर पड़ रहा है।
गैस सिलेंडर की कीमतों ने लोगों की रसोई का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है। ग्रामीण इलाकों में हालात और भी बुरे हैं, जहां अब लोग लकड़ी और कोयले पर लौटने को मजबूर हो रहे हैं।
जनता का गुस्सा इस बात पर है कि सरकार इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने में विफल रही है। बाजारों में जमाखोरी और मुनाफाखोरी ने भी स्थिति को और गंभीर बना दिया है। न तो कोई ठोस नीति दिख रही है और न ही राहत देने वाली कोई योजना।
लोगों का कहना है कि अगर महंगाई पर जल्द लगाम नहीं लगाई गई, तो उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी। सरकार को चाहिए कि वह जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए और आम जनता को राहत दे, ताकि वे एक सामान्य जीवन जी सकें।