Election 2025 – चुनाव आयोग के नए वोटिंग नियम और उनका असर
Election 2025 को देखते हुए भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने हाल ही में वोटिंग प्रक्रिया को और पारदर्शी, सुरक्षित और समावेशी बनाने के लिए कई अहम बदलावों की घोषणा की है, जो सीधे तौर पर मतदाताओं, राजनीतिक दलों और चुनावी प्रबंधन पर असर डालेंगे। नए नियमों के तहत वोटर आईडी और आधार कार्ड लिंकिंग को अनिवार्य किया गया है, जिससे एक ही व्यक्ति द्वारा एक से अधिक जगह मतदान करने की संभावना को रोका जा सके और फर्जी वोटिंग पर लगाम लगाई जा सके। इसके अलावा प्री-फिल्ड वोटर स्लिप की जगह अब QR कोड आधारित डिजिटल वोटर स्लिप दी जाएगी, जिसे मोबाइल ऐप या प्रिंट के जरिए मतदान केंद्र पर दिखाया जा सकेगा। चुनाव आयोग ने पहली बार विशेष रूप से दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिकों (85 वर्ष से अधिक उम्र) के लिए होम वोटिंग सुविधा का विस्तार किया है, जिससे वे घर बैठे अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। मतदान समय भी अब कई शहरी और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में एक घंटे बढ़ा दिया गया है, ताकि अधिकतम मतदाता भागीदारी सुनिश्चित हो सके। सुरक्षा के लिहाज से सभी मतदान केंद्रों पर CCTV निगरानी, वेबकास्टिंग, और रियल-टाइम मॉनिटरिंग डैशबोर्ड को लागू किया गया है, ताकि किसी भी गड़बड़ी या हिंसा को तुरंत रोका जा सके। राजनीतिक दलों के लिए सोशल मीडिया विज्ञापन और प्रचार सामग्री पर पूर्व-स्वीकृति (pre-approval) अनिवार्य कर दी गई है, जिससे फेक न्यूज और भ्रामक प्रचार को रोका जा सके। साथ ही, आयोग ने पहली बार ब्लॉकचेन बेस्ड रिमोट वोटिंग मशीन का ट्रायल घोषित किया है, जिससे प्रवासी मजदूर और दूसरे राज्यों में रहने वाले लोग बिना लौटे मतदान कर सकेंगे। इन बदलावों से एक ओर जहां चुनावी पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ने की उम्मीद है, वहीं कुछ आलोचकों का मानना है कि डिजिटल और तकनीकी प्रक्रियाओं के विस्तार से ग्रामीण व तकनीकी रूप से पिछड़े क्षेत्रों में मतदाताओं को दिक्कत हो सकती है। हालांकि, चुनाव आयोग का दावा है कि Election 2025 के दौरान यह बदलाव न सिर्फ फ्री और फेयर चुनाव सुनिश्चित करेंगे बल्कि मतदाता अनुभव को भी आधुनिक और सहज बनाएंगे