Election 2025 – वोटर डेटा एनालिटिक्स से बदल रही है चुनावी रणनीति

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Election 2025 – वोटर डेटा एनालिटिक्स से बदल रही है चुनावी रणनीति

 

लोकसभा चुनाव 2025 में सबसे बड़ा बदलाव यह देखने को मिल रहा है कि राजनीतिक दल अब सिर्फ रैलियों, पोस्टरों और टीवी विज्ञापनों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि वे Voter Data Analytics का इस्तेमाल करके अपनी चुनावी रणनीति को और ज्यादा टारगेटेड और प्रभावी बना रहे हैं। मतदाता डेटा एनालिटिक्स का मतलब है कि लाखों वोटरों के डेमोग्राफिक (आयु, लिंग, शिक्षा, पेशा), भौगोलिक (ग्रामीण या शहरी इलाका), और साइकॉलॉजिकल (मुद्दों और विचारधाराओं पर रुझान) पैटर्न को इकट्ठा करके उसका विश्लेषण किया जाए, ताकि यह समझा जा सके कि किस इलाके में किस तरह का कैंपेन चलाना होगा। राजनीतिक दल अब सोशल मीडिया, चुनावी रजिस्टर, जनगणना, सर्वे और यहां तक कि Aadhaar एवं वोटर आईडी डेटाबेस से भी जानकारी जुटाकर उसे AI (Artificial Intelligence) और Machine Learning की मदद से प्रोसेस कर रहे हैं। इसका फायदा यह है कि वे जान पाते हैं कि किन क्षेत्रों में उनकी पकड़ मजबूत है, किन जगहों पर उन्हें मेहनत बढ़ानी है, और किस तरह के मुद्दे वहां के लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेंगे। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी इलाके में युवा मतदाता ज्यादा हैं, तो वहां रोजगार, शिक्षा और स्टार्टअप सपोर्ट जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि बुजुर्ग आबादी वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं, पेंशन और सुरक्षा के वादे प्रमुख हो जाते हैं। हालांकि, इस तकनीक के इस्तेमाल पर गोपनीयता और डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सवाल भी उठते हैं, क्योंकि कई बार मतदाता की निजी जानकारी उसकी सहमति के बिना इस्तेमाल की जा सकती है। चुनाव आयोग ने भी इस पर नजर रखनी शुरू कर दी है और डेटा के दुरुपयोग पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में Voter Data Analytics चुनावी राजनीति का उतना ही अहम हिस्सा बन जाएगा जितना कि पहले पोस्टर, झंडे और जनसभाएं हुआ करती थीं। इससे न केवल कैंपेनिंग का तरीका बदलेगा, बल्कि चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता भी बढ़ जाएगी, और यही वजह है कि 2025 का चुनाव टेक्नोलॉजी और डेटा-स्मार्ट पॉलिटिक्स का नया चेहरा दिखा रहा है

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