Election 2025 – मीडिया की भूमिका, ऑब्जर्वेशन और जनता पर असर
लोकसभा चुनाव 2025 में मीडिया की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा अहम हो गई है, क्योंकि आज न केवल टीवी न्यूज़ चैनल और अखबार, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, यूट्यूब चैनल और पर्सनल ब्लॉग भी चुनावी नैरेटिव बनाने में बड़ा योगदान दे रहे हैं। मीडिया को लोकतंत्र का “चौथा स्तंभ” कहा जाता है, और चुनाव के दौरान यह मतदाताओं को सूचना उपलब्ध कराने, राजनीतिक दलों की नीतियों का विश्लेषण करने और नेताओं के बयानों की जांच करने का काम करता है। हालांकि, यह भी सच है कि कई बार मीडिया की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं, क्योंकि कुछ चैनल या पोर्टल विशेष दलों के पक्ष या विपक्ष में झुकाव दिखा सकते हैं, जिसे आम भाषा में Media Bias कहा जाता है। चुनाव आयोग भी मीडिया कवरेज पर नजर रखता है, खासकर Paid News और आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में। 2025 के चुनाव में फैक्ट-चेकिंग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और भ्रामक सूचनाओं की भरमार है, जो वोटरों के निर्णय को प्रभावित कर सकती हैं। दूसरी ओर, डिजिटल मीडिया ने मतदाताओं तक सूचनाएं पहुंचाना आसान बना दिया है — अब कोई भी व्यक्ति मोबाइल पर लाइव डिबेट, इंटरव्यू या ग्राउंड रिपोर्ट देख सकता है, जिससे पारंपरिक मीडिया के साथ-साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी महत्व बढ़ा है। राजनीतिक दल भी इस बदलते माहौल में मीडिया को रणनीतिक रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं — प्रेस कॉन्फ्रेंस, टीवी डिबेट में आक्रामक भागीदारी, और सोशल मीडिया कैंपेन के जरिए। विशेषज्ञ मानते हैं कि मीडिया न केवल मुद्दों को उजागर करता है, बल्कि यह तय करने में भी मदद करता है कि चुनावी बहस किस दिशा में जाएगी। हालांकि, मीडिया की जिम्मेदारी सिर्फ खबर दिखाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उसे सही संदर्भ, तथ्यों की जांच और दोनों पक्षों की राय पेश करने की भी है, ताकि मतदाता सूचित निर्णय ले सकें। इसीलिए कहा जाता है कि चुनाव में मीडिया न केवल सूचना का स्रोत है, बल्कि जनमत का निर्माण करने वाला एक सशक्त माध्यम भी है, जो लोकतंत्र की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाता ह