Election 2025 – वोटर टर्नआउट का ट्रेंड, पिछले चुनावों के आंकड़े और उनका विश्लेषण

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Election 2025 – वोटर टर्नआउट का ट्रेंड, पिछले चुनावों के आंकड़े और उनका विश्लेषण

 

लोकसभा चुनाव 2025 के बीच वोटर टर्नआउट यानी मतदान प्रतिशत को लेकर चर्चा तेज है, क्योंकि यह आंकड़ा सीधे-सीधे लोकतंत्र की सेहत और जनता की भागीदारी का संकेत देता है। पिछले चुनावों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो भारत में वोटर टर्नआउट लगातार बदलता रहा है — 1951 के पहले आम चुनाव में लगभग 45% मतदान हुआ था, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर करीब 67.4% तक पहुंच गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में 66.4% टर्नआउट दर्ज किया गया था, जिसे उस समय रिकॉर्ड माना गया, लेकिन 2019 में यह आंकड़ा एक नए उच्च स्तर पर पहुंचा। राज्यों के हिसाब से देखें तो पूर्वोत्तर राज्यों जैसे नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम में हमेशा से ही उच्च मतदान प्रतिशत देखने को मिलता है, जहां यह कई बार 80% से ऊपर जाता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में, खासकर मेट्रो सिटी जैसे मुंबई और दिल्ली में, टर्नआउट अपेक्षाकृत कम रहता है। विश्लेषकों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में वोटर टर्नआउट ज्यादा होने की एक बड़ी वजह स्थानीय मुद्दों से गहरा जुड़ाव और सामुदायिक वोटिंग कल्चर है, जबकि शहरी मतदाता अक्सर काम के शेड्यूल, राजनीतिक उदासीनता या मतदान केंद्रों तक पहुंच की दिक्कतों के कारण वोटिंग से दूर रहते हैं। पिछले चुनावों में देखा गया है कि महिला मतदाताओं की भागीदारी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है — 2019 में कई राज्यों में महिलाओं का टर्नआउट पुरुषों के बराबर या उससे ज्यादा रहा, जो राजनीतिक जागरूकता और महिला सशक्तिकरण की सकारात्मक दिशा को दर्शाता है। इसके अलावा, चुनाव आयोग और सरकार द्वारा चलाए गए वोटर अवेयरनेस कैंपेन और ई-फैसिलिटेशन सुविधाओं ने भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, कुछ चुनावों में खराब मौसम, सुरक्षा कारणों या राजनीतिक असंतोष के चलते टर्नआउट कम भी दर्ज किया गया। विशेषज्ञ मानते हैं कि Election 2025 में डिजिटल प्रचार, युवा मतदाताओं की बढ़ी हुई संख्या

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