ऑपरेशन सिंदूर में शामिल फौजी के साथ मारपीट – जांच की मांग तेज

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ऑपरेशन सिंदूर में शामिल फौजी के साथ मारपीट – जांच की मांग तेज

 

देश में सुरक्षा और सम्मान के प्रतीक फौजी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह गर्व नहीं बल्कि चिंता की है। खबर सामने आई है कि “ऑपरेशन सिंदूर” (Operation Sindoor) में शामिल एक बहादुर फौजी को कथित तौर पर कुछ लोगों ने पीट दिया, जिससे सेना और आम जनता दोनों में आक्रोश फैल गया है। यह घटना न केवल सुरक्षा बलों के मनोबल को चोट पहुंचाती है बल्कि इस बात पर भी सवाल खड़े करती है कि आखिर जिन सैनिकों ने देश के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाई, उन्हें सुरक्षित और सम्मानित माहौल क्यों नहीं मिल पा रहा।

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सूत्रों के अनुसार, यह फौजी हाल ही में छुट्टी पर अपने गृह जिले लौटा था और वहीं किसी निजी विवाद के चलते स्थानीय लोगों से उसकी कहासुनी हो गई। देखते ही देखते मामूली बहस हाथापाई में बदल गई और सैनिक को कथित तौर पर बुरी तरह पीटा गया। घटना के बाद ग्रामीणों ने बीच-बचाव कर स्थिति संभाली और घायल फौजी को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन यह मामला तेजी से राजनीतिक और सामाजिक बहस का विषय बन गया है।

 

ऑपरेशन सिंदूर सेना का एक अहम मिशन माना जाता है जिसमें इस फौजी ने बहादुरी से हिस्सा लिया था। सेना के सूत्रों का कहना है कि यह सैनिक कठिन परिस्थितियों में भी हमेशा देश की सेवा के लिए तत्पर रहा और अब जब उसके साथ ऐसी घटना हुई है तो इसे बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए। कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने इस घटना पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि यह केवल एक व्यक्ति की मारपीट नहीं बल्कि पूरी फौज के सम्मान पर चोट है।

 

राजनीतिक गलियारों में भी इस घटना पर हलचल मच गई है। विपक्ष ने सरकार से सवाल किया है कि जब देश के जवान सुरक्षित नहीं हैं तो आम नागरिक खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेंगे। वहीं ruling पार्टी के नेताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी और मामले की जांच तेजी से होगी। पुलिस ने भी इस घटना पर एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है।

 

सोशल मीडिया पर यह मामला जोर पकड़ चुका है। ट्विटर पर #JusticeForFauji और #OperationSindoor ट्रेंड कर रहा है। लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं। कई लोग यह भी लिख रहे हैं कि देश के जवान सीमाओं पर हमारी रक्षा करते हैं और अगर उन्हें ही अपने घरों में सुरक्षा न मिले तो यह पूरे समाज के लिए शर्म की बात है।

 

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं न केवल सैनिकों के मनोबल को तोड़ती हैं बल्कि सेना और जनता के बीच की दूरी भी बढ़ाती हैं। अगर जवानों को यह लगेगा कि समाज में उनका सम्मान सुरक्षित नहीं है तो इसका असर उनकी सेवा और समर्पण की भावना पर भी पड़ सकता है।

 

कुल मिलाकर, ऑपरेशन सिंदूर के इस फौजी के साथ हुई कथित मारपीट देश के लिए चिंता का विषय है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि प्रशासन कितनी जल्दी दोषियों को गिरफ्तार कर सजा दिलाता है और क्या सरकार सैनिकों के सम्मान और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस कदम उठाती है।

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