अमीर और अमीर, गरीब और गरीब होता जा रहा है!” गडकरी ने जताई चिंता
नागपुर में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में देश के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भारत की मौजूदा आर्थिक असमानता को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आज समाज की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि “धीरे-धीरे गरीबों की संख्या बढ़ रही है और धन कुछ अमीर लोगों के हाथों में केंद्रीकृत हो रहा है, जो नहीं होना चाहिए।”
गडकरी ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का उद्देश्य सिर्फ ग्रोथ नहीं, बल्कि रोज़गार पैदा करना और ग्रामीण भारत के लोगों की स्थिति को सशक्त बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ऐसी आर्थिक प्रणाली की जरूरत है, जिसमें हर वर्ग को बराबरी से लाभ मिले, और अवसरों का बंटवारा हो।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि धन का विकेंद्रीकरण समय की मांग है। “कुछ बदलाव हुए हैं, लेकिन अभी और बहुत कुछ करने की ज़रूरत है,” उन्होंने कहा। गडकरी के इस बयान को देशभर में सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर किया जा रहा है, और लोग इसे मौजूदा आर्थिक व्यवस्था पर एक जरूरी चेतावनी के रूप में देख रहे हैं।
उनका यह वक्तव्य उस समय आया है जब देश में आर्थिक असमानता को लेकर लगातार चर्चाएं हो रही हैं। एक तरफ करोड़ों लोग न्यूनतम ज़रूरतें पूरी करने में जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ प्रतिशत लोग अपार संपत्ति और संसाधनों के मालिक बने बैठे हैं।
गडकरी का यह बयान शायद उन तमाम नीति निर्माताओं को भी सोचने पर मजबूर करेगा, जो अब तक ग्रोथ को ही तरक्की का मापदंड मानते रहे हैं। क्योंकि असल विकास तब होता है जब हर नागरिक की थाली में रोटी हो, और हर हाथ में काम।