Electric Vehicles को लेकर सरकार का बड़ा दांव – नई पॉलिसी से बदलेगा ऑटोमोबाइल सेक्टर का गेम
भारत सरकार ने Electric Vehicles (EVs) को बढ़ावा देने के लिए एक नई और प्रभावशाली पॉलिसी का ऐलान किया है, जो न सिर्फ देश में पर्यावरण को लेकर बढ़ती चिंताओं का समाधान करेगी बल्कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को भी पूरी तरह बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। इस नई पॉलिसी के तहत सरकार ने EV मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई वित्तीय प्रोत्साहनों की घोषणा की है, जिसमें विशेष रूप से मेक इन इंडिया पहल के तहत लोकल प्रोडक्शन को प्राथमिकता दी गई है। इसके अंतर्गत अब ईवी कंपनियों को सब्सिडी, टैक्स में छूट और बैटरी निर्माण के लिए इंसेंटिव मिलेंगे, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन बनाना और खरीदना दोनों ही किफायती हो जाएगा।
सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत में कुल वाहनों का कम से कम 30% हिस्सा इलेक्ट्रिक हो, और इस दिशा में यह नई नीति निर्णायक साबित हो सकती है। नई पॉलिसी के तहत EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को देश के हर कोने तक पहुंचाने की योजना है, जिसमें रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, पेट्रोल पंप, शॉपिंग मॉल्स और हाइवे पर EV चार्जिंग स्टेशन लगाना अनिवार्य किया गया है।
इसके अलावा FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) स्कीम के तीसरे चरण को भी रिन्यू किया गया है, जिसमें दोपहिया और तिपहिया ईवी के लिए विशेष छूट दी गई है। सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि EV खरीदने वाले ग्राहकों को GST में 5% की रियायत, लोन पर ब्याज सब्सिडी और रोड टैक्स माफी जैसी सहूलियतें मिलती रहेंगी। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य है कि जनता EV को सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिक विकल्प माने।
EV मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को विशेष आर्थिक पैकेज दिए गए हैं ताकि वे ग्लोबल कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित कर सकें। Tesla और VinFast जैसी इंटरनेशनल EV कंपनियों ने भारत में अपनी यूनिट लगाने की मंशा जताई है और सरकार की इस नई पॉलिसी से उन्हें बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
सरकार ने EV बैटरी के लोकल मैन्युफैक्चरिंग को भी एक अलग स्कीम के तहत प्रमोट करने का फैसला
किया है, जिससे