अलविदा जुमा: रमज़ान के आखिरी जुमे की नमाज़ कैसे अदा करें?

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अलविदा जुमा: रमज़ान के आखिरी जुमे की नमाज़ कैसे अदा करें?

रमज़ान का आखिरी जुमा, जिसे अलविदा जुमा कहा जाता है, इस्लाम में खास अहमियत रखता है। इस दिन मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ उमड़ती है, और लोग अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अलविदा जुमा की नमाज कैसे अदा की जाती है? कितनी रकात होती हैं? और इस दौरान कौन-कौन सी दुआएं पढ़नी चाहिए? आइए जानते हैं।

अलविदा जुमा की नमाज़ का तरीका

अलविदा जुमा की नमाज आम जुमा की नमाज की तरह ही होती है। इसमें कुल 14 रकातें अदा की जाती हैं:

  1. चार रकात सुन्नत (ग़ैर-मुअक्कदा)
    • नियत: “मैं चार रकात सुन्नत नमाज़ पढ़ने की नीयत करता हूँ, सिर्फ़ अल्लाह के लिए, मुँह काबे की तरफ, तक़बीरे तहरीमा कहता हूँ।”
    • हर रकात में सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ें, जैसे सूरह इखलास, सूरह फलक या सूरह नास
    • चार रकात पूरी करके सलाम फेरें।
  2. दो रकात फ़र्ज़ (इमाम के साथ)
    • यह जुमा की सबसे जरूरी नमाज होती है।
    • नियत: “मैं दो रकात फ़र्ज़ नमाज पढ़ने की नीयत करता हूँ, अल्लाह के लिए, मुँह काबे की तरफ, इस इमाम के पीछे।”
    • इसमें इमाम की इत्तेबा करनी होती है। इमाम जोर से क़िरअत करेगा, और नमाजी खामोश खड़े रहेंगे।
  3. चार रकात सुन्नत (मुअक्कदा)
    • यह पहली चार रकात की तरह ही होती है।
  4. दो रकात सुन्नत (मुअक्कदा)
    • नियत: “मैं दो रकात सुन्नत नमाज पढ़ने की नीयत करता हूँ, अल्लाह के लिए।”
    • इसे अकेले पढ़ा जाता है।
  5. दो रकात नफ़्ल (मुस्तहब)
    • यह नफ़्ल नमाज है, इसे पढ़ना बेहतर है लेकिन जरूरी नहीं।

नमाज के दौरान पढ़ी जाने वाली दुआएं

  • सना: “सुब्हानकल्लाहुम्मा वबिहम्दिका…”
  • सूरह फातिहा: हर रकात में पढ़ना जरूरी है।
  • सजदे की दुआ: “सुब्हाना रब्बियाल अ’ला”
  • अत्तहियात, दुरूदे-इब्राहीम और दुआ-ए-मसूरा

अलविदा जुमा की अहमियत

  • इस दिन ज्यादा से ज्यादा इस्तग़फार करें।
  • दुआएं कबूल होने का मौका होता है, खासतौर पर जुमा के दिन अस्र के बाद।
  • गरीबों को सदका और खैरात दें।
  • कुरआन की तिलावत करें और ज्यादा से ज्यादा दरूद शरीफ पढ़ें।

अलविदा जुमा सिर्फ रमज़ान का आखिरी जुमा नहीं, बल्कि एक खास मौका है अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगने का। इसलिए इस दिन इबादत का खास एहतमाम करें और अल्लाह से दुआ करें कि वह हमें जिंदगी में अगले रमज़ान तक पहुंचाए।

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