वॉट्सऐप ग्रुप से कैसे शुरू होता है ‘लव जिहाद’: एक रियल केस स्टड

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वॉट्सऐप ग्रुप से कैसे शुरू होता है ‘लव जिहाद’: एक रियल केस स्टड

 

ये कहानी उत्तर भारत के एक छोटे शहर से शुरू होती है, जहाँ सब कुछ आम था – स्कूल, कॉलेज, और वॉट्सऐप ग्रुप्स। एक 18 वर्षीय लड़की, साक्षी (बदला हुआ नाम), BA फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट थी। जैसे बाकी युवा, वह भी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती थी। उसका नंबर किसी स्कूल फ्रेंड के ज़रिए एक “Young Hindu Culture” नामक वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ दिया गया। ग्रुप में भक्ति संदेश, त्योहारों की शुभकामनाएं और कभी-कभी मोटिवेशनल वीडियो आते थे। शुरुआत में सब सामान्य था।

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कुछ हफ्तों बाद एक लड़का – जो ग्रुप में ‘राज’ नाम से एक्टिव था – साक्षी के स्टेटस पर रिप्लाय करने लगा। बातचीत निजी चैट में शिफ्ट हो गई। बातों का सिलसिला आगे बढ़ा। ‘राज’ खुद को दिल्ली यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट बताता था, हिंदू ब्राह्मण बैकग्राउंड से होने का दावा करता था, और अपने प्रोफाइल में तिरंगे व मंदिरों की फोटो लगाता था। धीरे-धीरे उनकी बातचीत वीडियो कॉल और फोटोज तक पहुंची। तीन महीने बाद, ‘राज’ ने कहा कि वह उससे शादी करना चाहता है।

 

एक दिन साक्षी के भाई ने उसका मोबाइल चेक किया और बातें देखकर चौंक गया। उन्होंने कुछ डिजिटल ट्रैकर टूल्स से जांच की और पाया कि ‘राज’ नाम का कोई व्यक्ति उस नंबर से जुड़ा नहीं है। असल में, वह लड़का उत्तर प्रदेश के ही एक अन्य जिले का रहने वाला था और उसका असली नाम इमरान (बदला हुआ नाम)

था। उसने फेक

 

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