अलहम्दु शरीफ (सूरह फातिहा) का महत्व, अर्थ और फायदे – हिंदी में पूरी जानकारी

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अलहम्दु शरीफ (सूरह फातिहा) का महत्व, अर्थ और फायदे – हिंदी में पूरी जानकार

 

अलहम्दु शरीफ, जिसे कुरआन पाक की पहली सूरह सूरह फातिहा कहा जाता है, इस्लाम में सबसे अहम और मुक़द्दस दुआ मानी जाती है, जिसे हर नमाज़ की हर रकअत में पढ़ा जाता है। इसका अरबी टेक्स्ट है: “अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, अर-रहमानिर-रहीम, मालिकि यौमिद्दीन, इय्याका नाबुदु वा इय्याका नस्तईन, इह्दिनस्सिरातल मुस्तक़ीम, सिरातल्लज़ीना अनअमता अलैहिम, ग़ैरिल मग़दूबि अलैहिम वलद्दाल्लीन”। हिंदी में इसका अर्थ है — सब तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं जो सारे जहानों का पालनहार है, बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है, जो क़यामत के दिन का मालिक है। (ऐ अल्लाह) हम सिर्फ तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं। हमें सीधा रास्ता दिखा, उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया, न कि उनका जिन पर ग़ज़ब हुआ और न भटके हुए लोगों का। अलहम्दु शरीफ की तिलावत के कई फायदें बताए गए हैं — इसे पढ़ने से दिल को सुकून मिलता है, ग़म और परेशानी दूर होती है, रोज़ी में बरकत होती है और इंसान के ईमान में मज़बूती आती है। इसको सुबह-शाम और खास मौकों पर पढ़ना बरकत का सबब है। अलहम्दु शरीफ न सिर्फ नमाज़ में जरूरी है बल्कि इसे तिलावत के तौर पर भी किसी भी वक्त पढ़ा जा सकता है। इसका हर लफ़्ज़ इबादत है और हर लफ़्ज़ में एक गहरी दुआ शामिल है। हदीस में आता है कि जो शख्स अलहम्दु शरीफ को दिल से पढ़े, उसके सारे छोटे-छोटे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। यह सूरह कुरआन का “उम्मुल किताब” यानी पूरी किताब का सार है, जिसमें तौहीद (एक अल्लाह में यकीन), रिसालत (पैगम्बर की मान्यता) और आखिरत (आने वाले दिन) की पूरी सीख मिलती है। यह दुआ हमें अल्लाह पर पूरी तरह भरोसा करना और सीधा रास्ता अपनाना सिखाती है। अलहम्दु शरीफ की अहमियत का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि नमाज़ में अगर यह नहीं पढ़ी जाती तो नमाज़ अधूरी मानी जाती है। इसके सात आयतें एक मुकम्मल मैसेज देती हैं कि इंसान को अपनी ज़िंदगी में अल्लाह के शुक्रगुज़ार रहना चाहिए, हर मुश्किल में उसी से मदद मांगनी चाहिए और गुमराही से बचते हुए नेकी के रास्ते पर चलना चाहिए। अगर कोई शख्स इसे रोज़ 7, 11, 41 या 313 बार पढ़ता है तो उसकी मुश्किलें आसान होती हैं, बीमारियां दूर होती हैं और घर में रहमत आती है। इसको बच्चे, बुज़ुर्ग, औरत-मर्द सब याद करके पढ़ सकते हैं, क्योंकि इसका लहजा आसान और दिल को छू लेने वाला है। अलहम्दु शरीफ न सिर्फ एक इबादत है बल्कि एक लाइफ गाइड है जो हमें यह सिखाती है कि सही रास्ता वही है जो अल्लाह ने अपने नेक बंदों के लिए चुना। इसके लगातार पढ़ने से दिल में इमान की मिठास आती है और ज़िंदगी में एक अजीब सुकून महसूस होता है। इसीलिए दुनिया भर के मुसलमान अलहम्दु शरीफ को अपनी ज़िंदगी का अहम हिस्सा मानते हैं और इसे अपनी दुआओं, इबादतों और रोज़मर्रा के कामों में शामिल करते हैं।

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