त्रि-सेवा सम्मेलन ‘रण संवाद’ में 2035 तक टेक्नोलॉजी-भारी, आत्मनिर्भर और जॉइंट फोर्स बनाने पर जो
नई दिल्ली में आयोजित त्रि-सेना सम्मेलन ‘रण संवाद 2025’ में भारत की तीनों सेनाओं – थलसेना, नौसेना और वायुसेना – ने एक साझा दृष्टिकोण पेश किया जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि देश की रक्षा संरचना को 2035 तक पूरी तरह टेक्नोलॉजी-भारी (Technology-Heavy), आत्मनिर्भर (Atmanirbhar) और जॉइंट फोर्स (Joint Force) बनाया जाएगा। इस हाई-लेवल मीटिंग में रक्षा मंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ-साथ DRDO और इंडियन डिफेंस इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स भी शामिल हुए। सम्मेलन में यह संदेश दिया गया कि भविष्य की जंग केवल परंपरागत हथियारों से नहीं बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी, क्वांटम टेक्नोलॉजी, स्पेस वारफेयर और ड्रोन सिस्टम्स से तय होगी। इसी को देखते हुए भारतीय सेनाएँ अब ‘Network-Centric Warfare’ और ‘Multi-Domain Operations’ की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
रण संवाद 2025 का एक मुख्य एजेंडा था – आत्मनिर्भरता (Self-Reliance in Defence Manufacturing)। Make in India और Atmanirbhar Bharat अभियान के तहत भारत ने अब तक कई Defence Deals में Swadeshi Weapon Systems को प्राथमिकता दी है। INS Vikrant, LCA Tejas, आकाश मिसाइल, K9 Vajra जैसे उदाहरण सामने रखे गए और बताया गया कि आने वाले वर्षों में Hypersonic Missiles, Advanced Fighter Jets, Robotics आधारित Combat Vehicles और Cyber Defence Shields भी पूरी तरह भारत में विकसित किए जाएंगे। इसके साथ-साथ, ‘Digital Soldier’ कॉन्सेप्ट भी रखा गया जिसमें सैनिकों को AI-enabled gadgets, Smart Helmets और Real-time Battlefield Data से लैस करने की योजना है।
सम्मेलन में जोर दिया गया कि 2035 तक Indian Armed Forces एक पूरी तरह Joint Force के रूप में काम करेंगी, यानी Army, Navy और Air Force के बीच Communication और Coordination को इतना मजबूत बनाया जाएगा कि किसी भी जंग या संकट की स्थिति में तुरंत और प्रभावी जवाब दिया जा सके। इसके लिए Theatre Commands, Integrated Battle Groups और Unified Cyber Command की स्थापना पर चर्चा हुई।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से मिलने वाली चुनौतियों और Indo-Pacific क्षेत्र की Geopolitics को देखते हुए भारत को अपनी सैन्य क्षमताओं को सिर्फ बढ़ाना ही नहीं बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी-ड्रिवन बनाना जरूरी है। इसी के साथ अमेरिका, फ्रांस, इज़राइल और रूस जैसे देशों से High-Tech Defence Cooperation को भी रणनीतिक स्तर पर बढ़ाने की योजना है।
‘रण संवाद’ में यह भी कहा गया कि आने वाले समय में भारत केवल रक्षा उपभोक्ता नहीं बल्कि रक्षा निर्यातक (Defence Exporter) के रूप में भी उभरेगा। DRDO और Private Defence Startups को मिलाकर Defence Ecosystem को Global Level पर Competitor बनाने का लक्ष्य रखा गया।
इस कॉन्फ्रेंस का सबसे अहम संदेश यही रहा कि भारतीय सेनाएँ 2035 तक न सिर्फ युद्ध लड़ने के लिए बल्कि Hybrid Threats, Cyber Terrorism, Information Warfare और Space-based Challenges से निपटने के लिए भी पूरी तरह तैयार होंगी।