भारत बंद 2025: देशभर में 25 करोड़ से ज्यादा लोगों ने हड़ताल में हिस्सा लिया, सार्वजनिक सेवाएं ठप!
📅 9 जुलाई 2025 – भारत आज फिर एक बार इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया, जब देशभर के 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों ने एक साथ सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। भारत बंद, जिसे 10 से अधिक केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बुलाया था, ने ना सिर्फ दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े महानगरों को हिला दिया, बल्कि गांवों और कस्बों तक इस हड़ताल की गूंज पहुंची।
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✊ क्यों हुआ भारत बंद?
हड़ताल का आयोजन मुख्य रूप से केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ किया गया जिन्हें मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और कॉर्पोरेट परस्त बताया गया। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
चार श्रम संहिताओं (Labour Codes) को वापस लिया जाए
न्यूनतम वेतन को कानूनी रूप से गारंटीकृत किया जाए
निजीकरण पर रोक लगाई जाए
मनरेगा में कार्यदिवस बढ़ाकर 200 किए जाएं
महंगाई और बेरोज़गारी पर ठोस कदम उठाए जाएं
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🚌 कहां-कहां हुआ सबसे ज़्यादा असर?
भारत बंद का असर पूरे देश में महसूस किया गया लेकिन कुछ प्रमुख क्षेत्रों में ज़बरदस्त भागीदारी देखी गई:
पश्चिम बंगाल: सरकारी बसें बंद, प्राइवेट टैक्सी यूनियन भी शामिल
बिहार: कई जिलों में रेलवे ट्रैक पर धरना
दिल्ली: ITO और मंडी हाउस के पास प्रदर्शन
तमिलनाडु और केरल: शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी
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💼 किन सेवाओं पर पड़ा असर?
क्षेत्र स्थिति
बैंकिंग सेवाएं कई शाखाएं बंद, ग्राहक सेवा प्रभावित
डाक विभाग कार्य बहिष्कार, पार्सल डिलेवरी रुकी
ट्रांसपोर्ट बसें और ट्रेनों पर आंशिक असर
खनन और निर्माण मजदूरों की भागीदारी से काम ठप
स्कूल-कॉलेज सरकारी आदेश नहीं, लेकिन कुछ संस्थान बंद रहे
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📱 सोशल मीडिया पर कैसा रहा माहौल?
#BharatBandh ट्विटर पर दिनभर ट्रेंड करता रहा
हजारों यूज़र्स ने वीडियो, तस्वीरें और विरोध के पोस्ट शेयर किए
व्हाट्सएप ग्रुपों में “सरकार हटाओ – मजदूर बचाओ” जैसे नारे वायरल हुए
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🗣️ सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया
सरकार ने इस हड़ताल को “राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित और अर्थव्यवस्था के खिलाफ” बताया। वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार श्रमिक हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इस तरह की हड़तालें विकास को नुकसान पहुंचाती हैं।
विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस, सीपीआई और टीएमसी जैसी पार्टियों ने हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि यह आवाज़ आम जनता की है, जिसे दबाया नहीं जा सकता।
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📸 ग्राउंड रिपोर्ट से जुड़ी प्रमुख झलकियाँ
पटना में रेलवे स्टेशन के बाहर मजदूरों ने रेल रोको अभियान चलाया
कोलकाता में ट्रेड यूनियनों ने साइकिल मार्च निकाला
दिल्ली के आईटीओ पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्का झड़प
लखनऊ में वकीलों और शिक्षक संगठनों ने भी समर्थन जताया
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🔍 क्या है आगे का रास्ता?
संघर्ष के बीच, ट्रेड यूनियनों ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती, तो आने वाले दिनों में अभी से भी बड़ा भारत बंद किया जाएगा। कुछ संगठनों ने 29 जुलाई को दूसरी चरण की तैयारी की भी घोषणा कर दी है।
भारत बंद 2025 ने यह सिद्ध कर दिया कि जब देश का आम आदमी जागता है, तो सिर्फ सड़कें नहीं, सरकारें भी हिल सकती हैं। 25 करोड़ लोगों का एक साथ आवाज़ उठाना बताता है कि देश की नीतियों में बदलाव की ज़रूरत को अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
यह हड़ताल सिर्फ एक दिन का विरोध नहीं था, यह एक चेतावनी थी – जनता की ताकत की!