India के पास 2025 में कौन-कौन से Modern Weapons हैं जो दुश्मनों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं
भारत की रक्षा ताक़त अब पहले से कहीं ज़्यादा आधुनिक, घातक और तकनीकी रूप से उन्नत हो चुकी है, और 2025 में देश के पास ऐसे-ऐसे हथियार हैं जो किसी भी दुश्मन को कुछ ही मिनटों में खामोश करने की क्षमता रखते हैं, सबसे पहले बात करें भारत और रूस की संयुक्त साझेदारी से बनी ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल की, जिसकी रेंज अब 450 किलोमीटर से भी ज़्यादा हो चुकी है और स्पीड Mach 3 से ऊपर है, यानी आवाज़ से तीन गुना तेज़, ये मिसाइल ज़मीन, हवा और समुद्र — तीनों से लॉन्च की जा सकती है, वहीं भारत की अग्नि सीरीज़ की मिसाइलें अब इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक लेवल तक पहुंच चुकी हैं, खासकर अग्नि-5 जिसकी मारक क्षमता 5000 किलोमीटर से अधिक है और ये न्यूक्लियर वॉरहेड भी ले जाने में सक्षम है, इसके अलावा भारत ने तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट को अपनी वायुसेना में शामिल किया है जो पूरी तरह स्वदेशी है और चीन-पाकिस्तान के जेट्स को सीधी टक्कर देता है, हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने AI‑पावर्ड ड्रोन, स्टील्थ टैक्नोलॉजी और हाइपरसोनिक मिसाइल पर भी तेज़ी से काम किया है, 2025 में भारतीय सेना ने SIG716 और AK-203 असॉल्ट राइफलों को बड़े पैमाने पर तैनात किया है, जो पहले से कहीं अधिक सटीक, टिकाऊ और हल्की हैं, वहीं थल सेना के पास अब अत्याधुनिक अर्जुन MK1-A टैंक हैं जिनमें ऑटोमैटिक टारगेटिंग, एडवांस कम्युनिकेशन सिस्टम और हाई मोबिलिटी है, समुद्री सुरक्षा के लिहाज़ से INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है जो अब पूरी तरह ऑपरेशनल है और इसमें MiG-29K जैसे एडवांस फाइटर जेट्स तैनात किए गए हैं, साथ ही स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बियां और P-8I नेवल एयरक्राफ्ट्स भारत को समुद्री सीमा पर और मज़बूत बनाते हैं, आकाश मिसाइल सिस्टम, पिनाका रॉकेट लॉन्चर और नाग एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल जैसे हथियार अब फील्ड में टेस्टेड और भरोसेमंद बन चुके हैं, Make in India और Atmanirbhar Bharat अभियानों के तहत भारत अब हथियारों के निर्माण में आत्मनिर्भर हो रहा है, और कई देशों को रक्षा उपकरण निर्यात भी कर रहा है, हाल ही में भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल सप्लाई की है, जिससे भारत की ग्लोबल डिफेंस डिप्लोमेसी को भी मजबूती मिली है, कुल मिलाकर भारत की डिफेंस ताक़त अब सिर्फ़ रक्षात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक, प्री-एक्टिव और हाई-टेक हो चुकी है, और यह स्पष्ट संकेत है कि भारत अब सिर्फ़ युद्ध जीतने के लिए नहीं, बल्कि युद्ध को रोकने के लिए तैयार बैठा है — और यह तैयारी ही उसे एक वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में ले जा रही है।.