भारत की पहली मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप दिसंबर 2025 तक तैया
भारत ने टेक्नोलॉजी सेक्टर में ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए यह घोषणा की है कि देश की पहली मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप दिसंबर 2025 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी, यह योजना सरकार के सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम के तहत लागू की जा रही है जिसका उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और हाई-टेक हार्डवेयर प्रोडक्शन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है, अब तक भारत मोबाइल, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल और टेलीकॉम सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले चिप्स के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर था लेकिन इस घोषणा के बाद भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में एक मजबूत प्लेयर के रूप में उभर सकता है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका-चीन ट्रेड वार और ताइवान पर भू-राजनीतिक तनाव ने दुनिया भर में चिप्स की कमी को जन्म दिया है।
सरकार ने बताया कि यह चिप अत्याधुनिक नैनोमीटर प्रोसेस टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी और इसे गुजरात तथा कर्नाटक में स्थापित हो रहे सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स में डिजाइन और तैयार किया जाएगा, इस परियोजना के लिए देश की बड़ी टेक कंपनियों के साथ-साथ विदेशी निवेशक भी सहयोग कर रहे हैं, अनुमान है कि इस कार्यक्रम में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा जिससे लाखों लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और भारत में टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम को भी नई ऊर्जा मिलेगी।
दिसंबर 2025 तक चिप के उत्पादन की तैयारी पूरी हो जाएगी और शुरुआती चरण में इन चिप्स का इस्तेमाल मोबाइल और लैपटॉप मैन्युफैक्चरिंग में किया जाएगा, उसके बाद धीरे-धीरे इन्हें ऑटोमोबाइल, डिफेंस इक्विपमेंट, 5G डिवाइस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रोडक्ट्स में भी लगाया जाएगा, टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद अहम है क्योंकि आधुनिक युद्ध और सुरक्षा प्रणाली भी चिप्स पर निर्भर होती हैं और यदि भारत आत्मनिर्भर हो जाता है तो इसकी रक्षा क्षमता कई गुना मजबूत हो जाएगी।
इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि भारत को चिप्स के लिए अब चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, इससे आयात-निर्यात घाटे में कमी आएगी और “मेक इन इंडिया” अभियान को नई ऊँचाई मिलेगी, साथ ही भारतीय युवाओं के लिए सेमीकंडक्टर डिजाइनिंग, मटेरियल साइंस, हार्डवेयर इंजीनियरिंग और नैनोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने के बेहतरीन अवसर खुलेंगे, सरकार का दावा है कि यह चिप आने वाले समय में दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्धी चिप्स में से एक होगी और इसकी क्वालिटी तथा परफॉर्मेंस इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के अनुरूप होगी।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह भारत के लिए “टेक्नोलॉजिकल स्वतंत्रता” की दिशा में मील का पत्थर है और दिसंबर 2025 तक पहली मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप तैयार होने से भारत 21वीं सदी की डिजिटल इकॉनमी में अग्रणी भूमिका निभा सकेगा, विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह 1990 के दशक में IT सेक्टर ने भारत की पहचान बदली थी उसी तरह से सेमीकंडक्टर सेक्टर आने वाले दशक में भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक शक्ति को नया आयाम देगा, कुल मिलाकर दिसंबर 2025 भारत के टेक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय साबित हो
सकता है।