लखनऊ में साइबर युद्ध पर अंतरराष्ट्रीय समिट; फोरेंसिक और AI सेंटर का उद्घाटन

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लखनऊ में साइबर युद्ध पर अंतरराष्ट्रीय समिट; फोरेंसिक और AI सेंटर का उद्घाट

 

भारत के लखनऊ शहर में साइबर सुरक्षा और डिजिटल रक्षा को केंद्र में रखते हुए तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साइबर युद्ध समिट की शुरुआत हुई, यह समिट ऐसे समय में आयोजित की गई है जब दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है और साइबर अपराध, हैकिंग, डेटा लीक, रैनसमवेयर और डिजिटल जासूसी जैसे खतरों का खतरा लगातार बढ़ रहा है, उद्घाटन सत्र में देश-विदेश से आए साइबर विशेषज्ञों, टेक्नोलॉजी कंपनियों, नीति निर्माताओं और सुरक्षा एजेंसियों ने हिस्सा लिया और इस दौरान फोरेंसिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेंटर का भी शुभारंभ किया गया, जिसका उद्देश्य भारत को साइबर अपराध की जांच और डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाना है।

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समिट का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री और रक्षा विशेषज्ञों की मौजूदगी में हुआ, जहां उन्होंने कहा कि “डिजिटल इंडिया” अभियान ने जहां करोड़ों लोगों को इंटरनेट से जोड़ा है वहीं साइबर अपराधियों के लिए नए अवसर भी खोले हैं, इसलिए भारत को साइबर युद्ध की चुनौतियों से निपटने के लिए न केवल तकनीकी बल्कि संस्थागत स्तर पर भी तैयार रहना होगा, इस मौके पर लखनऊ में जिस AI और फोरेंसिक लैब का उद्घाटन हुआ है, वह देश की सबसे अत्याधुनिक लैब्स में से एक होगी, यहां अत्याधुनिक सर्वर, मशीन लर्निंग आधारित सिस्टम और डिजिटल फॉरेंसिक टूल्स लगाए गए हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी साइबर हमले का पता लगाने और सबूत जुटाने में मदद करेंगे।

 

तीन दिवसीय इस समिट में अमेरिका, इजराइल, रूस, जापान और यूरोप के कई देशों से साइबर विशेषज्ञ पहुंचे हैं, वे अपने अनुभव साझा करेंगे कि किस तरह से डिजिटल हमलों को रोका जाए और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत किया जाए, खासकर “रैनसमवेयर” और “स्टेट-स्पॉन्सर्ड साइबर अटैक्स” जैसे खतरों को लेकर चर्चा हो रही है, विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि अब साइबर युद्ध केवल हैकिंग तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक तरह से नई पीढ़ी का हथियार बन चुका है जिसका इस्तेमाल देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है।

 

इस समिट में एक और खास पहल हुई जहां डिजिटल शिक्षा और जागरूकता पर जोर दिया गया, छात्रों, युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए वर्कशॉप आयोजित किए जा रहे हैं ताकि वे साइबर सुरक्षा के नए-नए टूल्स सीख सकें, भारत सरकार का मानना है कि साइबर युद्ध से निपटने के लिए केवल विशेषज्ञ ही नहीं बल्कि आम नागरिक भी जागरूक होने चाहिए क्योंकि कई बार साधारण यूजर्स की लापरवाही से बड़े साइबर हमले संभव हो जाते हैं, इस दिशा में डिजिटल साक्षरता अभियान को और तेज करने का भी ऐलान किया गया।

 

समिट में “AI in Cyber Defense” पर विशेष सत्र रखा गया जिसमें यह दिखाया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैसे बड़े स्तर पर साइबर खतरों को रियल टाइम में पहचान सकता है और उन्हें रोक सकता है, मशीन लर्निंग मॉडल के जरिए हैकिंग पैटर्न को समझा जा सकता है और किसी भी अनियमित गतिविधि को तुरंत चिन्हित किया जा सकता है, लखनऊ में बने इस नए AI सेंटर में ऐसे ही अत्याधुनिक सिस्टम लगाए गए हैं जो आने वाले समय में भारत को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

 

विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी कि आने वाले समय में साइबर युद्ध पारंपरिक युद्ध से ज्यादा खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसमें न तो बंदूक चलती है और न बम गिरते हैं लेकिन बैंकिंग सिस्टम, पावर ग्रिड, एयरपोर्ट, अस्पताल और मिलिट्री कम्युनिकेशन सिस्टम को पंगु बनाया जा सकता है, इसलिए भारत को अपनी साइबर डिफेंस को मजबूत करने के लिए ज्यादा से ज्यादा निवेश करना होगा, इस समिट को इसी दिशा में एक मजबूत कदम बताया जा रहा है।

 

कुल मिलाकर, लखनऊ में आयोजित यह अंतरराष्ट्रीय साइबर युद्ध समिट भारत की साइबर सुरक्षा नीति में मील का पत्थर साबित हो सकती है, यहां न केवल वैश्विक विशेषज्ञों का अनुभव साझा हुआ बल्कि AI और फोरेंसिक सेंटर का उद्घाटन कर भारत ने यह संकेत दिया कि वह साइबर युद्ध जैसी आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है, आने वाले समय में यह समिट न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत आधार प्रदा

न कर सकती है।

 

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