Israel’s Backing for India’s Op Sindoor: Netanyahu ने Barak-8 और HARPY जैसे हथियारों पर दी मंज़ूरी
भारत के बहुप्रतीक्षित और रणनीतिक “Operation Sindoor” को अब एक और निर्णायक मोड़ तब मिला जब इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस ऑपरेशन में इस्राइली हथियारों के उपयोग को लेकर औपचारिक स्वीकृति दे दी है, रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार ने इस ऑपरेशन के लिए इज़राइल से दो प्रमुख रक्षा प्रणालियाँ मांगी थीं — Barak‑8 surface-to-air मिसाइल सिस्टम और HARPY self-destructing ड्रोन, जिन्हें Anti-Radar Loitering Munition के रूप में भी जाना जाता है, और अब इन दोनों हथियारों को ऑपरेशन सिंदूर में शामिल करने के लिए नेतन्याहू की मंज़ूरी मिलने के बाद भारत की रणनीतिक क्षमता में उल्लेखनीय बढ़त देखी जा रही है, सूत्रों की मानें तो Barak‑8 मिसाइल सिस्टम, जो भारत-इज़राइल का संयुक्त प्रोजेक्ट है, वह अब Northern Command और Eastern Front पर तैनाती के लिए तैयार किया जा रहा है, जबकि HARPY ड्रोन – जो दुश्मन के रडार सिस्टम को पहचानकर खुद को टारगेट पर विस्फोट कर देता है – उसे विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर की tactical strike capability के लिए तैयार किया गया है, गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की ऐसी संयुक्त सैन्य योजना है जिसमें वायुसेना, नौसेना और थलसेना तीनों अंगों की भागीदारी है और इसका मकसद सीमाई क्षेत्रों में तेज़ और सटीक जवाबी कार्रवाई के लिए एक synchronized offensive framework तैयार करना है, इज़राइल से मिली इस उच्च स्तरीय सैन्य सहायता को भारत के साथ रणनीतिक गठबंधन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, वहीं नेतन्याहू की यह मंजूरी ऐसे समय पर आई है जब पश्चिम एशिया में खुद इज़राइल को भी गाज़ा और लेबनान सीमा पर बढ़ते तनाव का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में भारत के लिए उसकी प्रतिबद्धता यह दर्शाती है कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग अब transactional नहीं, बल्कि geopolitical alignment का हिस्सा बन चुका है, वहीं डिफेंस एनालिस्ट्स का मानना है कि Barak‑8 सिस्टम भारत को हवा से होने वाले खतरों के प्रति कहीं अधिक सुरक्षा देगा और HARPY जैसे Loitering Munition सिस्टम्स मौजूदा युद्धनीति में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं क्योंकि ये बिना पायलट के संचालित होते हैं और सटीकता के साथ दुश्मन के संचार और रडार सिस्टम को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं, इसके साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि भारत ने इज़राइल से मिली इस तकनीक को केवल passive defensive मोड में नहीं बल्कि offensive सैन्य संचालन में उपयोग करने का निर्णय लिया है जो यह दिखाता है कि ऑपरेशन सिंदूर अब केवल रणनीतिक अभ्यास नहीं बल्कि संभावित जवाबी कार्रवाई की दिशा में बढ़ा एक ठोस कदम बन गया है, वहीं अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक नजरिए से देखें तो नेतन्याहू द्वारा इस ऑपरेशन के लिए हथियारों की स्वीकृति देना संयुक्त राष्ट्र की उस नीति को भी चुनौती देता है जो हाई-टेंशन जोन में हथियारों के ट्रांसफर पर सीमितता की सलाह देती है, इसके बावजूद इज़राइल ने भारत के लिए इस सप्लाई को “special bilateral security cooperation clause” के अंतर्गत अप्रूव किया है