ISRO ने फिर रचा इतिहास – नया सैटेलाइट लॉन्च मिशन बना भारत की अंतरिक्ष शक्ति का प्रतीक

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ISRO ने फिर रचा इतिहास – नया सैटेलाइट लॉन्च मिशन बना भारत की अंतरिक्ष शक्ति का प्रतीक

 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर देश को गर्वित करते हुए अपना नया सैटेलाइट लॉन्च मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जिसने न केवल भारत की अंतरिक्ष तकनीक में तेजी से हो रही तरक्की को दर्शाया है बल्कि वैश्विक स्पेस मार्केट में भी ISRO की मजबूत उपस्थिति को और पुख्ता कर दिया है। इस बार ISRO ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-C65 रॉकेट के ज़रिए एक साथ 8 सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया, जिनमें से 3 भारतीय और 5 विदेशी कमर्शियल सैटेलाइट्स थे।

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इस मिशन की खास बात यह रही कि यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित था और इसमें इसरो की नई पीढ़ी के उपग्रहों का भी परीक्षण शामिल था। भारतीय सैटेलाइट्स में सबसे प्रमुख रहा INS-2A, जिसे पृथ्वी अवलोकन, कृषि मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन और पर्यावरणीय सर्वे के लिए तैयार किया गया है। इसके अलावा इसरो ने एक प्रायोगिक कम्युनिकेशन सैटेलाइट और एक लो-अर्थ-ऑर्बिट रिसर्च सैटेलाइट भी भेजा है, जो आने वाले बड़े मिशनों के लिए टेक्नोलॉजिकल बेस तैयार करेगा।

 

विदेशी सैटेलाइट्स में अमेरिका, फ्रांस और सिंगापुर के उपग्रह शामिल हैं, जिनका प्रक्षेपण भारत के साथ हुए कमर्शियल समझौतों के तहत हुआ। इससे ISRO को करोड़ों डॉलर की विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी और भारत की स्पेस सर्विसेज के प्रति अंतरराष्ट्रीय विश्वास भी मजबूत होगा।

 

PSLV-C65 की यह उड़ान इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि यह “रियूज़ेबल बूस्टर टेक्नोलॉजी” का डेमो भी थी, जिसे भविष्य में Gaganyaan और Chandrayaan जैसे मिशनों में उपयोग किया जाएगा। इस लॉन्च से जुड़ी टाइमिंग, ट्रैकिंग और पेलोड डिप्लॉयमेंट की एक्यूरेसी ने एक बार फिर ISRO को NASA और ESA जैसी एजेंसि

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