“Juma Ki Namaz Mein Sirf 2 Rakat Farz Kyon Padhi Jaati Hai?”
हर शुक्रवार को मुस्लिम दुनिया में जो सबसे अहम इबादत होती है, वो है जुमा की नमाज़। लेकिन अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है – जुमा की नमाज़ में सिर्फ 2 रकात फर्ज ही क्यों पढ़ी जाती हैं, जबकि बाकी नमाज़ों में 4?
इसका जवाब कुरान और हदीस दोनों में मिलता है। जुमा की नमाज़ दरअसल एक खुत्बे (भाषण) के साथ आती है, जिसे नमाज़ का हिस्सा माना गया है। यही कारण है कि ख़ुत्बे के बाद सिर्फ दो रकात फर्ज नमाज़ पढ़ी जाती है, जो कि एक विशेष हुक्म है।
📜 इस्लामी दृष्टिकोण:
कुरान में कहा गया: “ऐ ईमान वालों! जब जुमा के दिन नमाज़ के लिए पुकारा जाए, तो अल्लाह की याद की तरफ दौड़ो…” (सूरह जुमा 62:9)
हदीस के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने हमेशा जुमा की नमाज़ दो रकात ही पढ़ाई।
इसके अतिरिक्त जुमा की नमाज़ से पहले और बाद में सुन्नत नमाज़ें भी होती हैं:
खुत्बे से पहले 4 रकात सुन्नत
2 रकात फर्ज (खुत्बे के बाद)
फिर 4 या 2 रकात सुन्नत
🌙 क्यों ज़रूरी है ये जानकारी?
2025 में आज के युवाओं को सिर्फ इबादत करनी नहीं, बल्कि उसकी हिकमत (बुद्धिमत्ता) भी समझनी चाहिए। जुमा की नमाज़ सिर्फ दो रकात में पूरी हो जाती है, लेकिन उसका असर हफ़्ते भर की रूहानी सफाई कर देता है।