शून्य बैलेंस खाता क्या होता है? जानिए फायदे, नियम और कैसे खोलें जीरो बैलेंस अकाउंट

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शून्य बैलेंस खाता क्या होता है? जानिए फायदे, नियम और कैसे खोलें जीरो बैलेंस अकाउंट

 

 

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अगर आप बैंक में खाता खोलना चाहते हैं लेकिन आपके पास नियमित रूप से बैलेंस बनाए रखने की सुविधा नहीं है, तो आपके लिए ‘शून्य बैलेंस खाता’ एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। आज हम आपको बताएंगे कि शून्य बैलेंस खाता क्या होता है, इसे कौन खोल सकता है, इसके क्या फायदे हैं और कैसे आप आसानी से इस अकाउंट को ओपन कर सकते हैं।

 

 

 

 

शून्य बैलेंस खाता (Zero Balance Account) वह सेविंग खाता होता है जिसमें खाता धारक को कोई न्यूनतम बैलेंस (Minimum Balance) बनाए रखने की आवश्यकता नहीं होती। मतलब – अगर आपके खाते में ₹0 हैं, तब भी बैंक आपसे किसी तरह का जुर्माना नहीं वसूलता।

 

 

 

यह खाता किसके लिए फायदेमंद है?

 

छात्र

 

मजदूर या सीमित आय वर्ग

 

बुजुर्ग

 

घरेलू महिलाएं

 

ग्रामीण व पिछड़े इलाकों के लोग

 

 

 

 

ऐसे खातों की खास बातें:

 

न्यूनतम बैलेंस की कोई बाध्यता नहीं

 

ATM/डेबिट कार्ड की सुविधा

 

इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग

 

कुछ बैंकों में पासबुक और चेकबुक भी मुफ्त मिलती है

 

सीधा सब्सिडी और सरकारी लाभ मिलना आसान

 

 

 

 

 

शून्य बैलेंस खाता कैसे खोलें?

 

1. किसी भी नजदीकी बैंक शाखा में जाएं

 

 

2. ‘BSBDA’ (Basic Savings Bank Deposit Account) के लिए फॉर्म भरें

 

 

3. आधार कार्ड और पैन कार्ड (या अन्य KYC डॉक्यूमेंट) दें

 

 

4. KYC पूरी होने के बाद खाता तुरंत खुल जाता है

 

 

 

 

 

किन बैंकों में मिलता है Zero Balance खाता?

भारत के अधिकांश बड़े बैंकों में यह सुविधा उपलब्ध है, जैसे:

 

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)

 

पंजाब नेशनल बैंक (PNB)

 

बैंक ऑफ बड़ौदा

 

केनरा बैंक (अब सभी सेविंग खातों में लागू)

 

एचडीएफसी, आईसीआईसीआई जैसे निजी बैंक भी अलग-अलग योजनाएं देते हैं

 

 

 

 

 

हाल की बड़ी खबर – केनरा बैंक का बड़ा फैसला

1 जून 2025 से केनरा बैंक ने अपने सभी सेविंग अकाउंट को शून्य बैलेंस अकाउंट घोषित कर दिया है। यानी अब किसी भी सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं रखना पड़ेगा, न ही कोई पेनल्टी लगेगी।

 

 

 

सावधानियां और सीमाएं:

 

कुछ बैंकों में लेन-देन की संख्या सीमित होती है

 

यदि आप नियमित रूप से बड़ी राशि जमा करते हैं, तो बैंक आपको रेगुलर अकाउंट में अपग्रेड कर सकता है

 

BSBDA खाते में क्रेडिट/डेबिट ट्रांजैक्शन लिमिट होती है

 

 

 

 

शून्य बैलेंस खाता उन लोगों के लिए एक सुनहरा मौका है जो बैंकिंग से जुड़े रहना चाहते हैं लेकिन न्यूनतम राशि बनाए नहीं रख सकते। सरकार की जनधन योजना और बैंकों की नीतियों के चलते अब यह सुविधा और भी सरल और व्यापक हो गई है।

 

 

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