Ladakh Mars Simulation Mission—दो भारतीय Astronauts ने पूरा किया 10 दिन का Red Planet Practice Drill
लद्दाख की ऊँचाई और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में आयोजित Mars Simulation Mission ने भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है, जहां दो भारतीय अंतरिक्षयात्रियों ने सफलतापूर्वक 10 दिन की सिमुलेशन पूरी की है। इस मिशन का उद्देश्य भविष्य में मानवयुक्त मंगल अभियान के लिए वैज्ञानिक, तकनीकी और शारीरिक तैयारियों का आकलन करना था, जिसमें ISRO और निजी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञों ने मिलकर हिस्सा लिया। लद्दाख के चुने गए लोकेशन को मंगल ग्रह के कठोर मौसम और सतही परिस्थितियों से मेल खाने के कारण चुना गया, जहां दिन में तापमान 5°C से 15°C और रात में माइनस डिग्री तक गिर जाता है, साथ ही कम ऑक्सीजन, सूखा वातावरण और पथरीली सतह, Astronauts के लिए Realistic Training Environment प्रदान करते हैं। इस दौरान दोनों अंतरिक्षयात्रियों को एक ह्यूमन हैबिटेट मॉडल में रखा गया, जिसमें सीमित संसाधनों, नियंत्रित हवा और पानी, तथा Solar Power आधारित ऊर्जा प्रणाली का उपयोग किया गया, ताकि यह परखा जा सके कि लंबी अवधि तक इंसान मंगल जैसी परिस्थितियों में कैसे जीवनयापन कर सकता है। Simulation में Extravehicular Activities (EVA) भी शामिल थीं, जहां स्पेससूट पहनकर चट्टानों के नमूने इकट्ठा करना, रोबोटिक रोवर्स को ऑपरेट करना, और Communication Delay के साथ पृथ्वी से डेटा ट्रांसफर करना शामिल था। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस 10-दिन की Drill ने Crew Coordination, Stress Management, और Emergency Protocols के बारे में महत्वपूर्ण डेटा प्रदान किया है, जो Mars Mission की प्लानिंग में बेहद उपयोगी साबित होगा। लद्दाख की स्थानीय प्रशासन ने भी इस परियोजना में सहयोग दिया, हालांकि इस दौरान सुरक्षा कारणों से मिशन साइट को आम जनता और मीडिया से दूर रखा गया। सोशल मीडिया पर ISRO द्वारा जारी की गई सीमित तस्वीरों और वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे Astronauts लाल रंग के Dusty Terrain पर वैज्ञानिक उपकरणों के साथ काम कर रहे हैं, और एक अस्थायी Mars Base में रिसर्च कर रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के सिमुलेशन मिशन न केवल तकनीकी तैयारी के लिए जरूरी हैं, बल्कि Crew Psychology और Resource Utilization के लिए भी अहम भूमिका निभाते हैं, क्योंकि असली मंगल यात्रा में Communication Lag 20 मिनट तक हो सकता है और संसाधनों की सप्लाई पृथ्वी से तुरंत संभव नहीं होगी। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को अगले स्तर पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, खासकर ऐसे समय में जब NASA, ESA और अन्य Space Agencies भी अपने-अपने Mars Habitat Simulation प्रोग्राम्स पर काम कर रही हैं। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में ISRO, Gaganyaan के बाद Mars-bound Astronaut Training को और विस्तार देगा और भारत अपनी तकनीकी क्षमताओं से Global Space